पश्चिम बंगाल में बाल विवाह पर लगाम लगाने के लिए यूनिसेफ की सकारात्मक पहल

कोलकाता : यूनिसेफ व कोलकाता प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को यूनिसेफ के कार्यालय में ‘मीडिया एडिटर्स राउंडटेबल’ कार्यक्रम हुआ। तीन दिवसीय कार्यक्रम का यह अंतिम दिन था। इस दिन कार्यक्रम में मौजूद महानगर की विभिन्न मीडिया प्रतिनिधियों के साथ पश्चिम बंगाल की विभिन्न सामाजिक समस्याओं पर चर्चा की गई। इस चर्चा में प्रमुख मुद्दा बाल विवाह का रहा जिसमें पश्चिम बंगाल का स्थान देश में प्रथम है।

इसकी जानकारी देते हुए यूनिसेफ के पश्चिम बंगाल के प्रमुख मो. मोहिउद्दीन ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एनएफएचएस-5 (2019-20) के आंकड़े के अनुसार 41.6% लड़कियों की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले हुई है। पश्चिम बंगाल के शहरी क्षेत्र में यह आंकड़ा 26.2% और ग्रामीण क्षेत्र में 48.1% है। उन्होंने यह भी कहा कि यूनिसेफ, राज्य सरकार के साथ मिलकर इस आंकड़े को कम करने के प्रति प्रयासरत है। हालांकि इस ओर समाज के हर वर्ग से सहयोग मिलने पर ही आंकड़े को सही मायने में कम करने में मदद मिलेगी। लोगों को जागरूक करने के प्रमुख माध्यम के रूप में मीडिया का इस ओर अहम योगदान होगा। इसके अलावा उन्होंने एनीमिया, कम उम्र में लड़कियों की प्रेगनेंसी की समस्या समेत अन्य मुद्दों पर भी विचार व्यक्त किए।

पश्चिम बंगाल के आंकड़ों पर एक नज़र

कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल यूनिसेफ की कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट सुचोरीता बर्द्धन ने कहा कि यूनिसेफ पश्चिम बंगाल के ज्वलंत सामाजिक मुद्दों पर जागरुकता फैलाने के लिए राज्य व जिला स्तर के पत्रकारों के साथ कार्यशालाओं का आयोजन कर रही है। इसके माध्यम से एक सामाजिक आंदोलन तैयार करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि समाज में वृहद स्तर के बदलाव में हर तरह की मीडिया का अपना एक अहम स्थान है और सामाजिक कुरीतियों पर इसके माध्यम से व्यापक बदलाव किया जा सकता है। इसके लिए बस सकारात्मक पहल करने की जरूरत है।

कार्यक्रम के दौरान प्रेस क्लब कोलकाता के असिस्टेंट सेक्रेटरी नेताई मालाकार, पश्चिम बंगाल यूनिसेफ के कंसलटेंट मीडिया स्ट्रैटजिस्ट अमिताभ दास समेत यूनिसेफ व मीडिया के वरिष्ठ लोग मौजूद थे।

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