कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा में सोमवार को विश्वविद्यालय संशोधन बिल को पारित कर दिया गया। सोमवार के पेश किए गए इस विधेयक के समर्थन में 182 विधायकों ने वोटिंग की है जबकि विपक्ष में 40 विधायकों का मतदान हुआ है। अब इसे हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भेजा जाना है। इसके तहत राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों का पदेन कुलाधिपति का दर्जा मिलेगा।
शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने इस संशोधित विधेयक को पेश किया। तृणमूल विधायक विश्वनाथ कारक, पूर्व शिक्षा मंत्री और वर्तमान में संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने इसमें चर्चा के दौरान हिस्सा लिया। पार्थ ने कहा कि तेलंगाना, महाराष्ट्र और तमिलनाडु ने विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के तौर पर राज्यपाल की नियुक्ति में अनिच्छा जाहिर की है। हम लोग भी राज्य की संवैधानिक प्रमुख को कुलाधिपति के तौर पर देखना चाहते हैं। केरल और पंजाब ऐसा प्रस्ताव लाने के बारे में सोच रहे हैं। यह जरूरी है कि ब्रिटिश शासन में बनाए गए नियम को बदलकर उसमें नयापन लाया जाए।
वहीं, विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि मुख्यमंत्री का चांसलर बनने का सपना पूरा नहीं होगा।