लखनऊ : विधानसभा चुनाव में अब भाजपा और सपा के बीच लड़ाई सिमटती जा रही है। इस बार बसपा का कोर वोटर भी भाजपा की तरफ झुकता हुआ दिख रहा है। इस बीच यह भी स्थिति देखने को मिल रही है कि मतदाता की सोच कहीं दूसरी जगह बनी हुई है, लेकिन कैमरे के सामने दूसरी पार्टी की बात करता है। इससे चुनावी पंडितों का गणित भी गड़बड़ा रहा है। अब सरकार किसकी बनेगी, यह तो 10 मार्च को ही पता चल पाएगा लेकिन इतना जरूर है कि भाजपा की बढ़त नजर आ रही है।
इस संबंध में लखीमपुर-खीरी के वरिष्ठ पत्रकार अनील सिंह राणा का कहना है कि स्थितियां बहुत कांटे की हैं। पहली बार देखने को मिल रहा है कि बसपा का कोर वोटर भी भाजपा के पक्ष में जाता दिख रहा है। कई जगह तो यह देखने को मिला कि मतदाता कैमरे के सामने कुछ और बोलता है और कैमरा बंद करते ही वह दूसरा कुछ बोलने लगता है। इसका कारण लोग समाज को बताते हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि अल्पसंख्यक समाज के एक व्यक्ति ने कैमरे के सामने भाजपा को भला-बुरा कह रहा था। कैमरा बंद करते ही कहने लगा, भैया, मेरे लड़के की शादी थी। मेरे पास पैसे बहुत कम थे, उसी से एक दिन पहले एक योजना का पैसा प्रधानमंत्री ने भेज दिया। अब आप ही बताओ जो हमारे काम आया, हम उसके काम क्यों नहीं आएंगे?
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि स्थितियां हर दिन बदल रही हैं, लेकिन एक बात यह है कि लड़ाई सिर्फ भाजपा और सपा के बीच सिमट गयी है। एक समुदाय इसे अपनी लड़ाई मानकर चलने लगा है। वह वर्ग यह मानकर चल रहा है कि यदि इस बार सपा हार गयी तो हमारी राजनीतिक पकड़ खत्म हो जाएगी। इस बीच सपा के टिकट बंटवारे में की गयी कुछ गड़बड़ियों ने भाजपा को मुद्दा दे दिया और अराजकता बनाम सुशासन की लड़ाई की ओर रुख करने में भाजपा सफल होती दिख रही है।
वरिष्ठ पत्रकार पंकज पांडेय का कहना है कि कई मुद्दों पर अखिलेश यादव की नादानी स्पष्ट दिख जाती है। यह भी स्पष्ट हो गया है कि भाजपा के सामने सपा टिक नहीं पाएगी। इनकी एक गलती को भाजपा इतना बड़ा मुद्दा बना देगी कि अखिलेश यादव धराशायी हो जाएंगे। यही लग रहा है कि अब यह चुनाव अराजकता बनाम सुशासन होता जा रहा है।