WBSSC भर्ती मामला : ओएमआर शीट्स को लेकर विशेष सतर्कता, स्कैन की गई प्रतियों को 10 साल तक रखने का फैसला

कोलकाता : पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) ने राज्य सरकार द्वारा संचालित माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की नई भर्ती प्रक्रिया की घोषणा करते हुए इस बार ओएमआर शीट्स (ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन शीट्स) के संरक्षण और उनकी स्कैन की गई प्रतियों को लंबे समय तक सहेजने पर विशेष जोर दिया है।

आयोग ने गुरुवार रात को नई भर्ती से जुड़ा अधिसूचना जारी किया, जिसमें बताया गया कि इस बार लिखित परीक्षा सितंबर के पहले सप्ताह में आयोजित की जाएगी। भर्ती प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली ओएमआर शीट्स की हार्ड कॉपी को कम से कम दो वर्षों तक संरक्षित रखा जाएगा। पहले इन्हें सिर्फ एक साल तक ही सुरक्षित रखा जाता था, जैसा कि 2016 की भर्ती प्रक्रिया में किया गया था।

गौरतलब है कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2016 की पूरी भर्ती रद्द कर दी गई, जिसके चलते आयोग की पिछली खामियों पर सवाल उठे। इसके बाद आयोग ने यह कदम उठाया है। अब ओएमआर शीट्स की स्कैन की गई प्रतियां या मिरर इमेज भी डब्ल्यूबीएसएससी के सर्वर पर कम से कम 10 साल तक रखी जाएंगी।

हालांकि, नई भर्ती का पैनल पहले की तरह एक साल के लिए मान्य रहेगा। आयोग ने यह अधिकार अपने पास रखा है कि आवश्यकता पड़ने पर वह इस पैनल की वैधता को अतिरिक्त छह महीने तक बढ़ा सकता है।

राज्य शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, ओएमआर शीट्स के संरक्षण को लेकर इस बार विशेष ध्यान इसलिए दिया गया है क्योंकि 2016 की भर्ती में 25 हजार 753 शिक्षकीय और गैर-शिक्षकीय पदों की चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं के मामले में जब कलकत्ता हाईकोर्ट और फिर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई, तब यह सामने आया कि आयोग ने ओएमआर शीट्स को सही ढंग से संरक्षित नहीं किया था।

पहली गलती यह रही कि आयोग ने परीक्षा के एक साल बाद ही मूल ओएमआर शीट्स को नष्ट कर दिया, जबकि पहले इन्हें कम से कम तीन वर्षों तक संरक्षित किया जाता था। दूसरी बड़ी चूक यह थी कि ओएमआर शीट्स की स्कैन की गई प्रतियों को भी नहीं रखा गया। तीसरी बड़ी गलती यह रही कि ओएमआर शीट्स के मूल्यांकन और संरक्षण का कार्य बाहरी एजेंसी को सौंप दिया गया, जबकि डब्ल्यूबीएसएससी के पास खुद की पर्याप्त संरचना मौजूद थी।

इन सभी लापरवाहियों के कारण यह तय कर पाना बेहद कठिन हो गया कि कौन से उम्मीदवार वास्तविक थे और कौन गलत तरीके से चयनित हुए थे। यही वजह थी कि पहले कलकत्ता हाईकोर्ट और फिर सर्वोच्च न्यायालय ने 2016 की पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया।

अब आयोग ने इस बार की भर्ती प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने के लिए कई संरचनात्मक बदलाव किए हैं, ताकि भविष्य में ऐसी कोई कानूनी बाधा उत्पन्न न हो।

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