कोलकाता : देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की नीति से बैंक कर्मचारियों में भारी नाराजगी है औेर इसको लेकर विरोध का दौर भी शुरू हो चुका है। इसके तहत पश्चिम बंगाल के साथ ही पूरे भारत में 16 व 17 दिसंबर को 10 लाख बैंक कर्मी हड़ताल पर रहे। इस विषय में बातचीत करते हुए ऑल इंडिया रिजनल रूरल बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के महासचिव सृजन कुमार पाल ने कहा कि केन्द्र सरकार शीतकालीन सत्र में बैंकों के निजीकरण को लेकर एक बिल पेश करने वाली थी लेकिन इसका विरोध पहले से ही शुरू हो गया इसलिए इस सत्र में बिल पेश नहीं किया गया लेकिन अभी तक इस बिल को रद्द करने का फैसला सरकार ने नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार कह सकती है कि यह बिल बैंकिंग सेक्टर में सुधार के लिए है और बैंक कर्मी सुधार विरोधी हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। बैंक कर्मी सुधार के विरोधी नहीं हैं बल्कि निजीकरण के विरोधी हैं।
सृजन कुमार पाल ने कहा कि 2 दिवसीय हड़ताल में पूरे भारत में जितने भी बैंक हैं उन बैंक के सभी ऑफिसर्स व इम्पलाइज यूनियनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसी भी सेक्टर में सुधार हो, उसका लाभ आम आदमी को मिलना चाहिए। सरकारी बैंकों में 97 फीसदी जनधन खाते खोले गए हैं, अटल पेंशन योजना के खाते भी सरकारी बैंकों में ही हैं, गरीब व आम आदमी की करोड़ों की अमानत देशभर के सरकारी बैंकों में रखी हुई है, इसका एक ही मतलब है सरकारी बैंक पर लोगों का भरोसा है। उन्होंने साफ कहा कि हम निजी बैंकों के विरोधी नहीं हैं, वे अपना काम ठीक कर रहे हैं लेकिन सरकारी बैंकों पर आम लोगों का जो भरोसा है उसे कॉरपोरेट के हाथों में देकर तोड़ने का प्रयास नहीं होना चाहिए।
सृजन कुमार पाल ने यह भी कहा कि केन्द्र सरकार को बैंकों के निजीकरण से संबंधी बिल को रद्द करने की तत्काल घोषणा करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो आगे भी इसके विरोध में आंदोलन जारी रहेगा और आंदोलन और भी वृहद रूप अख्तियार करेगा।