कोलकाता : बर्दवान शहर में पुलिस ने पिता-पुत्र को फर्जी डॉक्टर होने के आरोप में गिरफ्तार किया है। एक आरोपित के नाम के आगे ‘एमबीबीएस’ लिखा था, जबकि दूसरे ने खुद को ‘जनरल फिजिशियन’ बताया। जांच में पता चला कि दोनों के पास डॉक्टरी की कोई वैध डिग्री नहीं है। उनके क्लिनिक में छोटे-मोटे ऑपरेशन भी किए जा रहे थे।
लक्ष्मीकपुर मैदान इलाके में एक तीन मंजिला इमारत के निचले तल पर ये क्लिनिक चल रहा था। जब पुलिस वहां पहुंची, तो करीब दस मरीज इलाज के लिए इंतजार कर रहे थे। पुलिस ने जांच में पाया कि क्लिनिक के लिए न तो कोई वैध कागजात थे और न ही डॉक्टरों के पास कोई मेडिकल डिग्री। इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस और स्थानीय प्रशासन का बयान
जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमओएच) जयराम हेम्ब्रम ने शनिवार को बताया कि स्थानीय निवासियों ने इस क्लिनिक के खिलाफ शिकायत की थी। पुलिस ने जांच में पाया कि पिता अशोक कुमार प्रसाद ने खुद को ‘एमबीबीएस’ बताया, जबकि उनके बेटे ने ‘जनरल फिजिशियन’ के नाम से मरीजों का इलाज शुरू कर दिया।
पुलिस के अनुसार, यह परिवार पहले भी 2017 में इसी तरह के मामले में पकड़ा जा चुका है, लेकिन बाद में जमानत पर रिहा होने के बाद उन्होंने फिर से इस काम को शुरू कर दिया।
मुर्शिदाबाद से इलाज कराने आई एक महिला ने बताया कि उनकी मां को लकवे का इलाज कराने के लिए यहां लाया गया था। सलमा बीबी नाम की महिला ने कहा, “हमें नहीं पता था कि ये लोग फर्जी डॉक्टर हैं।” स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पिता-पुत्र ने चिकित्सा जैसे पवित्र पेशे को ‘पारिवारिक व्यवसाय’ बना दिया है।
क्या कहते हैं आरोपित?
अशोक कुमार प्रसाद ने पुलिस को बताया कि उन्होंने बिहार में ‘सीएमएस’ और ‘सीडीपी’ जैसे कोर्स किए हैं, लेकिन इन डिग्रियों से इलाज करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले वह एक चिकित्सा संस्थान में सहायक के रूप में काम करते थे और बाद में बेटे के क्लिनिक में प्रैक्टिस शुरू कर दी।
पुलिस ने क्लिनिक से बड़ी मात्रा में चिकित्सा उपकरण बरामद किए हैं और इस मामले में विस्तृत जांच जारी है। दोनों आरोपितों को शनिवार को अदालत में पेश किया जाएगा। वहीं, मेडिकल काउंसिल से यह पुष्टि की जाएगी कि उनके पास कोई वैध रजिस्ट्रेशन है या नहीं। इस घटना ने चिकित्सा प्रणाली में हो रही धांधली को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।