कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी उस टिप्पणी का दृढ़ता से समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि महिलाओं ने राजभवन जाने को लेकर डर व्यक्त किया है। उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के समक्ष राज्यपाल सीवी आनंद बोस की ओर से दाखिल करवाई गई मानहानि याचिका अंतरिम आदेश की याचिका का विरोध किया। इसमें ममता बनर्जी के अलावा तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेताओं को भी नामजद किया गया है।
राज्यपाल बोस के वकील ने बनर्जी, दो नव निर्वाचित विधायकों और एक अन्य टीएमसी नेता को राजभवन में कथित घटनाओं के संबंध में आगे कोई टिप्पणी करने से रोकने के लिए अदालत से अंतरिम आदेश मांगा है। ममता बनर्जी की ओर से वकील एसएन मुखर्जी ने जस्टिस कृष्णा राव के समक्ष तर्क दिया कि मुख्यमंत्री ने जो कुछ भी कहा है वह सार्वजनिक हित के मुद्दों पर एक उचित टिप्पणी है। इसमें कुछ भी मानहानि नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल उन महिलाओं की आशंकाओं को व्यक्त किया था जिन्होंने राजभवन में कुछ कथित गतिविधियों के बारे में डर व्यक्त किया था। मुखर्जी ने अदालत को बताया कि वह उन महिलाओं के नाम एफिडेविट के रूप में देने के लिए तैयार हैं जिन्होंने ऐसी आशंकाएं व्यक्त की थीं। हालांकि कोर्ट ने फिलहाल दोनों पक्षों को सुना है लेकिन कोई टिप्पणी नहीं की है।
दरअसल, दो मई को राजभवन की एक अनुबंधित महिला कर्मचारी ने बोस के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने जांच शुरू की थी। संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत, किसी राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान उनके खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती। इस मामले ने राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, जिसमें मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति और बढ़ गई है। टीएमसी और राज्यपाल के बीच विवाद पहले से ही चल रहा था और यह मामला उस विवाद को और भड़का सकता है।