कोलकाता : राज्य सचिवालय नवान्न में जूनियर डॉक्टरों के साथ प्रस्तावित बैठक लगभग दो घंटे तक चली। हालांकि इसके लिए केवल 45 मिनट का समय तय किया गया था। सोमवार शाम इस बैठक के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन और राज्य सरकार के विभिन्न पहलुओं पर बात की गई।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक के दौरान डॉक्टरों से कहा, “आंदोलन करना शुरू किया है तो उसे समाप्त भी करना चाहिए। मैंने भी 26 दिनों तक सिंगुर के लिए अनशन किया था। जब मैंने अनशन किया, तब कोई प्रशासनिक व्यक्ति नहीं आया था, सिर्फ गोपाल गांधी आए थे, क्योंकि वह मुझे व्यक्तिगत रूप से प्यार करते थे।”
बैठक में एक महिला डॉक्टर ने ममता बनर्जी से कहा, “हमने आंदोलन करना आपसे ही सीखा है।” इस पर ममता ने जवाब देते हुए कहा कि जब उन्होंने भी अपने आंदोलनों में भाग लिया, तो उन्हें किसी तरह की प्रशासनिक मदद नहीं मिली थी।
बैठक के दौरान जूनियर डॉक्टरों ने कॉलेज स्तर पर रैगिंग के मुद्दे पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि रैगिंग के आरोपों की जांच कौन करेगा– एंटी रैगिंग कमेटी या टास्क फोर्स? इस पर मुख्यमंत्री ने कॉलेज स्तर पर भी टास्क फोर्स जैसी समिति बनाने की बात कही।
मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर स्थिति सामान्य नहीं होती, तो सरकार कैसे काम करेगी?” उन्होंने डॉक्टरों से अपील की कि वे स्थिति को सामान्य करें ताकि जनता को सुविधाएं मिल सकें।
ममता बनर्जी ने आंदोलन के दौरान हुई आर्थिक क्षति का भी जिक्र करते हुए बताया कि “जूनियर डॉक्टरों की स्ट्राइक के कारण 450 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो जनता के पैसे थे और इन्हें दूसरी जगहों पर उपयोग किया जाना चाहिए था।”
बैठक में जूनियर डॉक्टरों ने सरकार की टास्क फोर्स पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि टास्क फोर्स के कामकाज के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और इसमें सभी मेडिकल कॉलेजों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
अंत में, ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार द्वारा बिना किसी जांच के किसी को सस्पेंड करना गलत है। उन्होंने पूछा, “आरजी कर के प्रिंसिपल ने 47 लोगों को सस्पेंड क्यों किया? बिना सरकार को सूचित किए उन्होंने यह निर्णय कैसे लिया? यह थ्रेट कल्चर नहीं तो और क्या है?”
बैठक के समापन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार डॉक्टरों की शिकायतों पर गंभीरता से विचार कर रही है और सभी मुद्दों का समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी।