पश्चिम बंगाल स्कूल नौकरी घोटाला : पार्थ चटर्जी को सिफारिश भेजने वाले प्रभावशाली लोगों से पूछताछ करेगी सीबीआई

CBI

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित स्कूल नौकरी घोटाले की जांच कर रही सीबीआई अब उन प्रभावशाली लोगों से पूछताछ करने जा रही है, जिन्होंने अयोग्य उम्मीदवारों के नाम सीधे राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को सिफारिश के तौर पर भेजे थे।

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई के हाथ ऐसे पुख्ता सुराग लगे हैं, जिनसे यह साफ हुआ है कि कई रसूखदार लोगों ने पैसे लेकर स्कूल की नौकरी के लिए अयोग्य उम्मीदवारों की सिफारिश पार्थ चटर्जी तक पहुंचाई थी।

सीबीआई के पास ऐसे 132 लोगों की सूची है, जिन्होंने अलग-अलग स्तर पर नौकरी की सिफारिशें की थीं। हालांकि, जांच एजेंसी अब केवल उन्हीं लोगों को शॉर्टलिस्ट कर रही है, जिनकी सीधी पहुंच पार्थ चटर्जी तक थी और जिन्होंने सीधे उन्हें सिफारिशें भेजी थीं।

बताया गया कि सिफारिश करने वाले इन लोगों की पहचान पार्थ चटर्जी के साथ हुई बातचीत, लिखित सिफारिश पत्रों, व्हाट्सएप और एसएमएस संदेशों के जरिए की गई है। हालांकि, सीबीआई ने फिलहाल इन शॉर्टलिस्ट लोगों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं। एजेंसी के अनुसार, इनकी गवाही से पार्थ चटर्जी के खिलाफ मामला और मजबूत करने में मदद मिलेगी।

सूत्रों का यह भी कहना है कि पार्थ चटर्जी ने व्यक्तिगत रूप से भी कई अयोग्य उम्मीदवारों का चयन किया था, जिन्होंने नौकरी के लिए पैसा दिया था। खासतौर पर प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में यह गड़बड़ी ज्यादा देखने को मिली।

हाल ही में सीबीआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें उन उम्मीदवारों का ब्योरा दिया गया, जिन्होंने लिखित परीक्षा में खाली उत्तर पत्र जमा करने के बावजूद नौकरी हासिल की। इस रिपोर्ट में एजेंसी ने यह भी समझाया कि ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन (ओएमआर) शीट के साथ किस तरह की छेड़छाड़ कर ऐसे उम्मीदवारों का चयन किया गया।

गौरतलब है कि पार्थ चटर्जी को जुलाई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने स्कूल नौकरी घोटाले में गिरफ्तार किया था। इस मामले में दाखिल आरोपपत्र में उन्हें इस घोटाले का मुख्य सूत्रधार बताया गया है।

इसके अलावा, उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी और दामाद भी आरोपी बनाए गए हैं। इतना ही नहीं, पार्थ चटर्जी की दिवंगत पत्नी के नाम पर बने ‘बबली चटर्जी मेमोरियल ट्रस्ट’ को भी आरोप पत्र में आरोपित संस्था के रूप में शामिल किया गया है। आरोप है कि घोटाले से जमा की गई रकम को इसी ट्रस्ट के जरिए दान दिखाकर इधर-उधर किया गया।

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