कोलकाता : पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव मतदान से पहले केंद्रीय बलों की तैनाती टालने के लिए तमाम टालमटोल करने वाले राज्य के चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा अब चुनाव के दौरान हिंसा रोकने में विफलता के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती में देरी को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं। केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए कोऑर्डिनेटर रहे बीएसएफ के डीआईजी एसएस गुलेरिया की ओर से चुनाव आयोग पर बलों को तैनाती की विस्तृत जानकारी और संवेदनशील बूथों की डिटेल रिपोर्ट नहीं देने के आरोप लगाए जाने के बाद मंगलवार को राज्य के चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने पलटवार किया है।
उन्होंने कहा है कि हम प्रत्येक मतदान केंद्र में केंद्रीय बलों की तैनाती करना चाहते थे इसके लिए अतिरिक्त संख्या में सेंट्रल फोर्स की मांग भी की गई थी। लेकिन जिन बलों के भेजा गया वे भी समय पर नहीं आ पाए। अगर वे समय पर आए होते तो हिंसा के हालात नहीं बनते। दरअसल पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए कोर्ट ने बेहद सख्त आदेश देकर कहा था कि हर एक मतदान केंद्र पर सेंट्रल फोर्स होनी चाहिए। बावजूद इसके केवल 15 फ़ीसदी बूथों पर ही सेंट्रल फोर्स की तैनाती थी। मतदान वाले दिन केवल चंद घंटों में 18 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था जबकि सैकड़ों लोग जीवन भर के लिए अपंग हो गए हैं।
हिंसा की इन घटनाओं को रोकने में विफल रहे चुनाव आयुक्त से जब इस बारे में सवाल पूछा गया था तब उन्होंने कहा था कि केंद्रीय बलों के जवान अपनी ड्यूटी नहीं निभा पाए। इसके बाद अब वह मंगलवार को कह रहे हैं कि और फोर्स होती तो हालात दूसरे होते।