कोलकाता : पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मियों के वेतन पोर्टल से “दागी” नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन जिला स्कूल निरीक्षकों को इस काम में शुरुआत से ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, कई शिक्षक आपसी सहमति से अन्य स्कूलों में स्थानांतरित हो चुके हैं। इनमें से कुछ ने जूनियर हाई स्कूलों में भी तबादला लिया है। हालांकि, इन स्थानांतरणों का रिकॉर्ड अभी तक पोर्टल पर अपडेट नहीं हुआ है। इसी कारण कई कर्मियों का पता लगाना मुश्किल हो रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया कि जिला निरीक्षकों के कार्यालय लगातार मेहनत कर रहे हैं। सभी संदिग्ध कर्मियों की जानकारी इकट्ठा करने के लिए अलग-अलग जिलों में पत्र भेजे जा रहे हैं।
उधर, स्थिति और जटिल तब हो गई जब 10 अप्रैल को वेतन पोर्टल अपडेट होने के बावजूद 25 हजार 753 कर्मियों के नाम अब भी सिस्टम में दर्ज मिले। ये वही कर्मचारी हैं जिनकी नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद रद्द कर दी गई थी।
इस लापरवाही को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में अवमानना याचिका भी दायर की गई है। याचिका में राज्य सरकार और पश्चिम बंगाल विद्यालय सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना का आरोप लगाया गया है।
इस बीच, असली उम्मीदवारों ने भी आंदोलन तेज कर दिया है। उनकी मांग है कि सरकार तुरंत “दागी” और “असली” उम्मीदवारों की अलग-अलग सूची प्रकाशित करे। साथ ही भ्रष्ट तरीके से नियुक्त सभी कर्मियों को तत्काल हटाया जाए।
उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने 2016 की डब्ल्यूबीएसएससी भर्ती पैनल को पूरी तरह रद्द कर दिया था। अदालत ने माना कि राज्य सरकार और आयोग असली और घूस देकर नियुक्त हुए उम्मीदवारों में फर्क नहीं कर सके, इसलिए पूरी सूची को ही रद्द करना पड़ा।