हरिद्वार : पंच पर्वों में मुख्य पर्व दीपावली पर सभी की इच्छा शुभ मुहुर्त के अनुसार व विधिपूर्वक पूजन करने की होती है। पूजन के साथ यह भी इच्छा होती है कि जो हम पूजा करें उसका फल हमें मिले। जब बात लक्ष्मी की होती है तो चाहे कोई भी हो गृहस्थ, संन्यासी सभी लक्ष्मी पति होना चाहते हैं। इसके लिए शुभ मुहूर्त में पूजा होना जरूरी है।
भारतीय प्राच विद्या सोसाइटी कनखल के संस्थापक पं. प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक 24 अक्टूबर सोमवार सायं 5.45 के बाद प्रदोष काल प्रारंभ होगा। ये बेला 8.45 रात्रि तक रहेगी। इस समय मेष लग्न होगा। इस समय में लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं। इसमें गणेश पूजन, कुबेर पूजन, लक्ष्मी पूजन, बही खातों का पूजन, दीप जलाना शुभ होगा। इसके बाद रात्रि 8.35 से 12 बजे तक लाभ की चौघड़िया होगी। ये निशीथ काल की पूजा श्री सूक्त, कनकधारा मंत्र, लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वोत्तम होगी, इसमें वृष लग्न होगा। इसके बाद महा निशीथ काल होगा, जो कि 12 बजे से 2 बजे तक होगा। इसमें समस्त तंत्र प्रयोग होंगे उल्लू पूजन, काली पूजा, बागुला मुखी पूजा, वन देवी की पूजा इसमें की जाएगी। ये तीन मुहूर्त कल होंगे जो कि समस्त मन कामनाओं की पूर्ति के लिए शुभ होंगे।