जेनेवा : पूरी दुनिया में बढ़ते कोरोना के खतरे के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना के ओमिक्रोन वेरियंट पर नियंत्रण न पाने को लेकर चिंता जताई है। डब्ल्यूएचओ की एक तकनीकी टीम ने ओमिक्रॉन से निपटने के लिए मौजूदा वैक्सीन को अपर्याप्त करार देते हुए उस पर शोध बढ़ाने का सुझाव दिया है।
दुनिया भर में ओमिक्रॉन के बढ़ते प्रभाव को लेकर डब्ल्यूएचओ की चिंता बार-बार सामने आ रही है। हाल ही में डब्ल्यूएचओ में यूरोप के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. हेन्स हेनरी पी क्लग ने कहा था कि मार्च तक आधा यूरोप ओमिक्रॉन का शिकार होगा। अब डब्ल्यूएचओ की एक प्रभावी तकनीकी टीम ने कोरोना की मौजूदा वैक्सीन पर अधिक शोध व उसके नए वेरियंट पर काम करने की जरूरत बताई है। स्वतंत्र विशेषज्ञों वाले इस तकनीकी समूह का मानना है कि ओमिक्रॉन वेरियंट के अनुरूप वैक्सीन की संरचना पर विचार किया जाना चाहिए, ताकि ये वैक्सीन ज्यादा प्रभावी हो सकें।
भारत सहित तमाम देशों में कोरोना के प्रसार और ओमिक्रॉन से निपटने के लिए वैक्सीन के बूस्टर डोज की पहल की गयी है। इस पर डब्ल्यूएचओ की तकनीकी टीम ने बूस्टर डोज की उपयोगिता को तो खारिज नहीं किया है किन्तु कहा है कि बूस्टर डोज व्यापक, प्रभावी और लंबे समय तक कोरोना से बचाए रखने वाली होनी चाहिए। डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों का मानना है कि शोध के बाद बूस्टर डोज इस तरह की होनी चाहिए कि किसी नए वेरियंट की स्थिति में बार-बार नए बूस्टर डोज की जरूरत न पड़े।