इतिहास के पन्नों में 14 जनवरीः हैली एडमंड का जिक्र छिड़े और धूमकेतु का जिक्र न हो, यह कहां संभव

देश-दुनिया के इतिहास में 14 जनवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख दुनिया के सारे खगोलविदों के लिए खास है, क्योंकि 1772 की 14 जनवरी को मशहूर खगोलविद एडमंड हैली ने आखिरी सांस ली थी। एडमंड वही खगोलविद हैं जिन्होंने दुनिया की हैली धूमकेतु से पहचान कराई थी। एडमंड हैली का नाम इंग्लैंड के प्रसिद्ध खगोलविदों में गिना जाता है।

एडमंड हैली का जन्म आठ नवंबर 1656 को इंग्लैंड के शोरडिच में हुआ था। उनके पिता का साबुन का कारोबार था। उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के क्वींस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। बाद में ऑक्सफोर्ड से ही मास्टर्स की डिग्री हासिल की।

1705 में एडमंड हैली ने दुनिया को हैली धूमकेतु के बारे में बताया था। वैसे तो पृथ्वी के पास से कई धूमकेतु गुजरते हैं, लेकिन हेली ऐसा धूमकेतु है, जिसे खुली आंखों से भी देखा जा सकता है। इसे देखने के लिए किसी खास उपकरण की जरूरत नहीं होती। हेली धूमकेतु 76 साल में एक बार दिखाई देता है।

यह धूमकेतु धूल-मिट्टी के बादल की तरह होते हैं, जो सैकड़ों सालों में एक बार दिखाई देते हैं। इस वजह से हेली ऐसा धूमकेतु भी है, जिसे एक जीवनकाल में दो बार देखने की उम्मीद की जा सकती है। आखिरी बार हेली धूमकेतु को 1986 में देखा गया था और अब अगली बार यह 2061 में दिखाई दे सकता है।

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