इतिहास के पन्नों में 22 दिसंबरः अमर संगीत देने वाले वसंत देसाई का दर्दनाक अंत

22 दिसंबर 1975 को भारतीय सिनेमा जगत के मशहूर संगीतकार वसंत देसाई की दर्दनाक मौत हो गई। वे एचएमवी स्टूडियो के एक संगीत कार्यक्रम से घर वापस लौटे और अपार्टमेंट की लिफ्ट में जैसे ही पांव रखा, तकनीकी खराबी के कारण लिफ्ट अचानक चल पड़ी और वसंत देसाई की जिंदगी का सफर हमेशा के लिए थम गया।

वसंत देसाई का जन्म 1912 में भोंसले कबीले द्वारा शासित सावंतवाड़ी राज्य के सोनवाडे गांव के एक धनी परिवार में हुआ था। दिग्गज संगीतकार के रूप में वसंत देसाई को दशकों तक याद किया जाता रहेगा। उन्होंने वी. शांताराम की झनक झनक पायल बाजे (1955), दो आंखें बारह हाथ (1957), विजय भट्ट की गूंज उठी शहनाई (1959), संपूर्ण रामायण (1961), आशीर्वाद (1968) और हृषिकेश मुखर्जी की गुड्डी (1971) जैसी फिल्मों में अमर संगीत रच कर सुनने वालों के दिलों में खास जगह बनाई।

उनका संगीत शास्त्रीयता और लोक संगीत का संगम था। कहते हैं कि फिल्म संगीत में इको साउंड वसंत देसाई की ही देन है। उन्होंने सबसे पहले ‘परबत पे अपना डेरा’ (1944) में इसका प्रयोग किया था। उन्होंने अशोक कुमार से ‘आशीर्वाद’ में ‘रेलगाड़ी’ गवाया, जिसे भारत का पहला रैप गीत माना जाता है।

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