इतिहास के पन्नों में 23 अक्टूबरः जब वैज्ञानिक पति-पत्नी को एक साथ प्रदान किया गया नोबेल पुरस्कार

देश-दुनिया के इतिहास में 23 अक्टूबर की तारीख तमाम कारणों से दर्ज है। इस तारीख को बहुत कुछ ऐसा घटा जो इतिहास बन गया। नोबेल पुरस्कार के क्षेत्र में भी ऐसा ही महत्वपूर्ण वाकया हुआ। नोबेल पुरस्कार का सम्मान किसी भी वैज्ञानिक का सपना होता है। और अगर जीवनसाथी को भी साथ में ही यह सम्मान हासिल हो जाए तो बात ही क्या है। ऐसा ही हुआ था 1947 में पहली बार 23 अक्टूबर को हुआ। यह हैं गेर्टी कोरी और उनके पति कार्ल कोरी। इन्हें 23 अक्टूबर, 1947 को चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार कार्बोहाइड्रेट साइकिल के सिद्धांत के लिए दिया गया। तत्कालीन चेकोस्लोवाकिया के प्राग शहर में जन्मी गेर्टी कोरी वहीं की जर्मन यूनिवर्सिटी में मेडिसिन पढ़ती थीं। वहीं उनकी मुलाकात कार्ल कोरी से हुई। 1920 में दोनों ने साथ में एमडी की पढ़ाई पूरी की।

1922 में यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के आसार पनपते देख दोनों न्यूयॉर्क चले गए। यहां कार्ल कोरी ने प्राणघातक बीमारियों के स्टेट इंस्टीट्यूट में नौकरी शुरू की। छह महीने बाद गेर्टी ने भी असिस्टेंट पैथोलॉजिस्ट के तौर पर उनके साथ काम करना शुरू कर दिया। हालांकि संस्थान उनके साथ में काम करने के पक्ष में नहीं था लेकिन दोनों के बीच तालमेल कमाल का था और वे साथ काम करते रहे।

1929 में उन्होंने कार्बोहाइड्रेट साइकिल का सिद्धांत प्रस्तुत किया। इसे ‘कोरी साइकिल’ भी कहते हैं। इसमें बताया गया था कि कार्बोहाइड्रेट कैसे खुद को विघटित कर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और जरूरत न होने पर कैसे इसका संचय होता है। कार्बोहाइड्रेट की प्रक्रिया और शरीर में इसके महत्व पर इस तरह का सिद्धांत पहली बार आया था। इससे डाइबिटीज के इलाज में काफी मदद मिली। 1931 में कार्ल कोरी ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से मेडिसिन विभाग के फार्मोकोलॉजी विभाग में अध्यक्ष पद संभाला और यहां भी दोनो साथ में काम करते रहे। चालीस के दशक में उन्हें और ख्याति मिली और 1947 में उन्होंने नोबेल जीतने वाले पहले दंपति होने का गौरव हासिल किया।

ऐपल ने भी आज से 20 साल पहले 23 अक्टूबर, 2001 को अपना पहला आईपॉड लॉन्च किया था। मोबाइल मार्केट में आज ऐपल दुनिया की दिग्गज स्मार्टफोन निर्माता कंपनी है। बात 1997 की है। स्टीव जॉब्स ऐपल में सीईओ के तौर पर लौटे ही थे। डेस्कटॉप मार्केट पर माइक्रोसॉफ्ट का कब्जा था। ऐपल के पास कोई भी लोकप्रिय प्रोडक्ट नहीं था और वह दिवालिया होने के कगार पर था। ऐसे में उम्मीद सिर्फ नए डिवाइस से ही थी। 1990 के दशक में हैंडहेल्ड एपीथ्री प्लेयर्स मार्केट में आ गए थे।

स्टीव जॉब्स को लगता था कि यह इस्तेमाल में आसान नहीं है। ऐपल को पोर्टेबल एमपीथ्री प्लेयर बनाना चाहिए। जॉब्स का मानना था कि ऐपल के पोर्टेबल इस प्लेयर का आईट्यून्स से लिंक हो, ताकि वह मैक कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे लोगों को आकर्षित करे। शुरुआती डिजाइन में सिर्फ दो पॉइंट्स रखे थे। 1.8 इंच की जगह में 5जीबी हार्ड ड्राइव का इस्तेमाल करना था, जो तोशीबा बनाती थी।

सारे इंजीनियर मैक को अपग्रेड करने में लगे थे। तब डिजाइन कंसल्टेंट के तौर पर फिलिप्स के टोनी फैडल को लाया गया। छह हफ्ते में तीन प्रोडक्ट मॉडल डिजाइन हुए। जॉब्स को पसंद भी आए। उन्होंने फैडल को पोर्टेबल म्यूजिक डिवाइस टीम का इंचार्ज बना दिया। वे चाहते थे कि 2001 की क्रिसमस शॉपिंग लिस्ट में यह डिवाइस शामिल रहे। समय कम था इसलिए ज्यादातर कम्पोनेंट बाहर से खरीदे गए।

इसका नाम रखने के लिए फ्रीलांस लेखक विनी शिको को हायर किया गया। उन्होंने ही इसे आईपॉड नाम दिया, जो स्टारट्रैक से इंस्पायर्ड था। 23 अक्टूबर, 2001 को यह प्रोडक्ट औपचारिक रूप से लॉन्च हुआ और नवंबर 2001 में पहले आईपॉड की डिलीवरी हुई। छह साल में ही 10 करोड़ से ज्यादा आईपॉड बिक गए। इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास है।

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