- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विलुप्त होती कलाओं को पहचान दिलाने के उद्देश्य से भेंट की थी सांझी कला
मथुरा : श्रीकृष्ण भगवान की जन्मस्थली मथुरा से सांझी कला की शुरूआत हुई थी, जिसका ब्रज मंडल में अपना अलग ही विशेष महत्व है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व पटेल पर सांझी कला को पहचान दिलाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को कलाकृति भेंट की है। इस पर मथुरा वृंदावन के विधायक श्रीकांत शर्मा ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने ब्रज की कलाकारों का गौरव बढ़ाया है। इसके लिए मैं ब्रजवासियों का हार्दिक अभिनंदन व आभार व्यक्त करता हूं।
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी यह कला आज पूरी तरह से विलुप्त होती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विलुप्त होती इस कला को पूरी दुनिया में पहचान दिलाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को सांझी की कलाकृति भेंट की है। सांझी कला पिछले कई दशकों से ब्रज के मंदिरों तक ही सीमित रह गयी थी, लेकिन अब लोगों को उम्मीद है कि अब सांझी कला को एक नई पहचान मिलेगी। पितृ पक्ष में ब्रज मंडल के अधिकांश घरों में सांझी सजाई जाती है। पूरे जोश और उत्साह के साथ ब्रज मंडल की महिलाएं घर घर में सांझी बनाकर पितृ पक्ष के बाद इसका समापन करती हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को जो सांझी भेंट की गई है वह पेपर कटिंग से बनाई गई है।
गौरतलब हो कि द बृज फाउंडेशन नामक सामाजिक संस्था द्वारा दस साल पूर्व प्राचीन ब्राह्म कुण्ड पर सांझी मेले का आयोजन किया गया था । वृंदावन में साँझीकारो में रमण राधा रमण मंदिर और राधा वल्लभ मंदिर के सेवायतों के अलावा भट्ट परिवार के लोग जुड़े हैं । मथुरा के कंस खार निवासी आशुतोष वर्मा का कहना है कि यह साँझी पेपर कटिंग का खाका उनके बाबा स्वर्गीय चैन सुख दास वर्मा के हाथों बनाया गया था । यह गोवर्धन के प्रसिद्ध कुसुम सरोवर की डिजाइन है। इसकी एक प्रति आशुतोष के पास आज भी सुरक्षित है। आशुतोष का कहना है कि वर्ष 1979 में उनके बाबा का देहांत हो गया था और 1992 से 1997 के बीच नेशनल क्राफ्ट्स म्यूजियम दिल्ली के तत्कालीन डायरेक्टर जितेंद्र जैन इसे खरीद कर उनके ताऊ विजय वर्मा से ले गए थे। उनका कहना है कि उनके परिवार में कई पीढ़ियों से पेपर कटिंग का काम होता है व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को जो सांझी भेंट की गई है इससे विश्व पटल पर सांझी को पहचान मिल सकेगी।