कोलकाता : बीरभूम जिले के तृणमूल अध्यक्ष अनुब्रत मंडल को आसनसोल की विशेष सीबीआई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। उन्हें 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। वह 7 सितंबर तक जेल में रहेंगे जहां सीबीआई अधिकारी आवश्यकता पड़ने पर उनसे पूछताछ कर सकते हैं।
अनुब्रत के अधिवक्ता संदीपन ने न्यायाधीश राजेश चक्रवर्ती के कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया कि मंडल को स्लीपो ओपिनिया की बीमारी है। इसमें सांस लेने में तकलीफ होती है और मरीज की जान भी जा सकती है। उन्होंने न्यायालय में रखे गए नेबुलाइजर और छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर भी दिखाया और कहा कि मंडल को हर समय इसकी जरूरत रहती है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर निजाम पैलेस स्थित सीबीआई दफ्तर के पास घर लेकर मंडल रहेंगे। बीरभूम के 100 मीटर के दायरे में भी प्रवेश नहीं करेंगे। मवेशी तस्करी मामले में उनकी संलिप्तता का जो जिक्र सीबीआई कर रहा है उसका कोई प्रमाण नहीं है।
हकीकत यह है कि सीमा पार मवेशियों को ले जाने के लिए बीएसएफ की मिलीभगत रहती है। मंडल का किसी भी आपराधिक गतिविधि से कोई लेना देना नहीं है। उसके बाद कोर्ट ने कहा कि उनके खाते में जो 16 करोड़ 93 लाख रुपये मिले हैं वह किसके हैं? क्या एलआईसी से आए हैं? इसके जवाब में संदीपन ने कहा कि मेरे मुवक्किल को जमानत दे दी दीजिए ताकि मैं उनसे बात कर आपको बता सकूं कि रुपये किसके हैं। हिरासत में रहने की वजह से उनसे मैं बात भी नहीं कर पा रहा हूं।
दूसरी ओर सीबीआई के अधिवक्ता ने कहा कि अनुब्रत मंडल काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उन्हें छोड़ने का मतलब है जांच को प्रभावित करना। उन्होंने कहा कि फिलहाल सीबीआई मामले में महत्वपूर्ण मोड़ पर है और अनुब्रत मंडल से पूछताछ कर कई सारी जानकारी लेनी है। उन्होंने यह भी कहा कि गिरफ्तारी से पहले वह जांच में बिल्कुल सहयोग नहीं कर रहे थे और एक बार फिर उन्हें जमानत मिलेगी तो साक्ष्य प्रभावित होंगे ही, जांच भी प्रभावित होगी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने कुछ देर के लिए अदालत की कार्यवाही मुल्तवी कर दी और बाद में फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि मंडल को 7 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में रहना होगा। अगर उनकी सेहत खराब होती है तो पहले की तरह उन्हें अलीपुर के कमांड अस्पताल में चिकित्सकीय जांच के लिए ले जाया जाएगा।