कोलकाता : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने बागुईआटी के छात्रों की हत्या को लेकर कहा है कि इससे पश्चिम बंगाल की पुलिस व्यवस्था का असली रूप उजागर हुआ है।
प्रदेश सचिव संगीत भट्टाचार्य ने बुधवार को विज्ञप्ति जारी कर बताया कि पश्चिम बंगाल में एक के बाद एक हत्याएं और दुष्कर्म हो रहे हैं। ज्यादातर मामलों में अभियुक्त तृणमूल नेता या तृणमूल के करीबी होते हैं। पश्चिम बंगाल में अधिकांश सुशील समाज इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। अगर बगल के घर में आग लग जाती है तो उससे उनका क्या लेना देना? अभी भी बहुत लोग ऐसे ही सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि, जैसे-जैसे आग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, वे भूल गए हैं कि उनके घर में भी जल्द ही आग लग सकती है।
उन्होंने कहा कि हम लंबे समय से देख रहे हैं कि जब इस राज्य में कुछ होता है, तो पुलिस दोषियों को खोजने के बजाय घटना को छिपाने में अधिक सक्रिय होती है। बागुईआटी के मारे गए दो छात्रों अतनु दे और अभिषेक नस्कर के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस मामले में भी पुलिस ने शुरू में दोनों परिवारों पर अपहरण की सूचना मीडिया को नहीं देने का दबाव बनाया। परिवार दबाव के आगे झुक गया और पुलिस की सहायता करना जारी रखा लेकिन फिर भी पुलिस 17 दिन में कुछ नहीं कर पाई।
परिवार कथित अपहरणकर्ताओं तक पहुंचने में कामयाब रहा लेकिन पुलिस नहीं पहुँच सकी। नतीजा यह रहा कि 17 दिन बाद बशीरहाट अस्पताल के मुर्दाघर में दो बच्चों के सड़े हुए शव मिले। और इसी तरह पश्चिम बंगाल के लोगों ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल पुलिस की वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था को देखा।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने बागुईआटी के दो छात्रों की हत्या का कड़ा विरोध करता है। जिस तरह से दो माताओं ने आज अपने बच्चों को प्रशासनिक विफलता के कारण खो दिया, उसके लिए पुलिस मंत्री और इस राज्य की मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। हम सीबीआई जांच के माध्यम से हत्या के दोषियों के लिए त्वरित और कड़ी सजा और पुलिस की निष्क्रियता में शामिल सभी पुलिस अधिकारियों के लिए अनुकरणीय दंड की भी मांग करते हैं।