एनएमसी की जेनरिक दवाओं के लिए जारी अधिसूचना जल्द हो रद्द : आईएमए

कोलकाता : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), जो भारतीय चिकित्सा पेशेवरों का विशिष्ट शीर्ष निकाय है, ने एनएमसी के ईएमआरबी द्वारा गत 2 तारीख को जारी अधिसूचना को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं।

आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शरद कुमार अग्रवाल व आईएमए के मानद महासचिव डॉ. अनिलकुमार जे नायक ने कहा कि जेनेरिक दवाएं लिखने के संबंध में एनएमसी द्वारा उठाया गया गलत कदम एक आपातकालीन स्थिति है। डॉक्टरों के लिए यह नियम अनिवार्य है कि वे केवल जेनेरिक दवाएं ही लिखें। यह आईएमए के लिए बेहद चिंता का विषय है। चूंकि इसका सीधा असर मरीजों की देखभाल और सुरक्षा पर पड़ता है।

एनएमसी द्वारा जेनेरिक दवाओं का वर्तमान प्रचार ऐसा है जैसे बिना पटरियों के रेलगाड़ियाँ चालाना।

एनएमसी अपने नैतिक दिशानिर्देशों पर केवल सामान्य नाम में ही नुस्खे लिखने पर जोर देता है।

यह स्वाभाविक रूप से रोगी के सर्वोत्तम हित में नहीं होगा। यदि डॉक्टरों को ब्रांडेड दवाएं लिखने की अनुमति नहीं है, तो ऐसी दवाओं को लाइसेंस क्यों दिया जाना चाहिए, जबकि आधुनिक चिकित्सा दवाएं केवल इस प्रणाली के डॉक्टरों के नुस्खे पर ही दी जा सकती हैं।

यदि सरकार जेनेरिक दवाओं को लागू करने के प्रति गंभीर है, तो उसे जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए केवल जेनेरिक दवाओं को ही लाइसेंस देना चाहिए, किसी ब्रांडेड दवाओं को नहीं।

बाज़ार में गुणवत्तापूर्ण ब्रांड उपलब्ध कराना लेकिन मरीजों के स्वास्थ्य के लिए ज़िम्मेदार डॉक्टरों को उन्हें लिखने की अनुमति न देना संदिग्ध लगता है।

आईएमए ने भारत सरकार से व्यापक परामर्श के लिए इस विनियमन को स्थगित करने के साथ ही इस संबंध में केंद्र सरकार और एनएमसी द्वारा गंभीर और तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

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