कोलकाता : महानगर कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में दाखिले में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। हाल ही में हटाए गए अंतरिम कुलपति बुद्धदेव साव ने विश्वविद्यालय की दाखिला प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की केंद्रीय स्तर पर जांच की मांग की है। उन्होंने इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने दावा किया है कि पीएचडी स्तर पर दाखिला प्रक्रिया में इसी तरह की अनियमितताएं हुई हैं।
साव ने कहा कि यूजीसी या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मामले की गहन जांच करनी चाहिए। उनके अनुसार, पहली अनियमितता सुपर-न्यूमेरिक स्तर पर दाखिले के लिए सुपर-न्यूमेरिक पद के सृजन में हुई, जो यूजीसी द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का खुला उल्लंघन था। उन्होंने आरोप लगाया कि 2017 में शुरू की गई पीएचडी स्तर के दाखिले पर सुपर-न्यूमेरिक पोस्ट की यह प्रणाली आयोग की औपचारिक सहमति के बिना साल-दर-साल चलती रही है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें अंतरिम वीसी की कुर्सी से ऐसे समय हटाया गया, जब वह विश्वविद्यालय के भीतर इस तरह की अनियमित नियुक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा, “इसलिए, मैं इस मामले की केंद्रीय स्तर की जांच की अपील कर रहा हूं, चाहे वह यूजीसी या सीबीआई द्वारा हो।”
जेयू में गणित के वरिष्ठ प्रोफेसर साव को विश्वविद्यालय के छात्रावास में एक नए छात्र की रैगिंग से संबंधित दुखद मौत के बाद इस साल अगस्त में विश्वविद्यालय के अंतरिम वीसी के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस द्वारा नियुक्त किया गया था, जो राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं। हालांकि, राज्य शिक्षा विभाग के परामर्श से विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह आयोजित करने के अपने प्रयासों के कारण साव कथित तौर पर राज्यपाल के निशाने पर हैं। दीक्षांत समारोह रविवार को था। बमुश्किल 12 घंटे पहले पिछले शनिवार को राज्यपाल ने साव को पद से हटा दिया था। हालांकि, दीक्षांत समारोह सुचारु रूप से चलाने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा रविवार सुबह उन्हें बहाल कर दिया गया। राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह को अवैध करार दिया है।