अयोध्या : विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री रहे ओंकार भावे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के प्रमुख शिल्पियों में से एक थे। संतों के आदेश से विहिप के तत्वावधान में मंदिर आंदोलन के लिए जब “श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति” बनी तो इसके अध्यक्ष तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ और महामंत्री दाऊदयाल खन्ना के साथ ओंकार भावे को प्रथम मंत्री बनाया गया। विहिप की ओर से समिति में उनको ही स्थान दिया गया था। वह आजीवन श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के मंत्री रहे।
विहिप के केंद्रीय मंत्री अंबरीश सिंह ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में बताया कि ओंकार भावे ने मंदिर आंदोलन के दौरान हर संकट और संघर्ष को झेला। राम जन्मभूमि का ताला खुलने पर राम जानकी रथ को उत्तर प्रदेश शासन ने जब्त कर लिया था। राम जानकी रथ को छुड़वाने के लिए हुए आंदोलन का नेतृत्व ओंकार भावे ने ही किया था और शासन को झुकने पर मजबूर किया था। वर्ष 1990 की कारसेवा के दौरान उन्होंने एक बलिदानी जत्थे का नेतृत्व किया था।
आंदोलन शुरू होने से पूर्व एकात्मता यात्रा देशभर में निकाली गई थी। यात्रा की पूर्व तैयारी के लिए ओंकार भावे ने सघन प्रवास किया था। उन्होंने छोटी-छोटी बैठकें ली थीं। विहिप में उन्होंने अंचल संगठन मंत्री, केंद्रीय मंत्री, संयुक्त महामंत्री और उपाध्यक्ष के नाते देशभर में निरंतर प्रवास किया।
ओंकार भावे का जन्म 26 जुलाई 1924 को आजमगढ़ में हुआ था। 14 वर्ष की अवस्था में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने। उन्होंने 1940, 1941 और 1942 में क्रमशः संघ शिक्षा वर्ग प्रथम, द्वितीय और संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त कर 1944 में संघ के प्रचारक के रूप में काम करना शुरू किया। वह प्रयाग, हरदोई और अलीगढ़ में जिला प्रचारक रहे। इसके बाद आगरा एवं लखनऊ में विभाग प्रचारक रहे। लखनऊ से प्रकाशित राष्ट्रधर्म के व्यवस्थापक तथा सह संपादक भी रहे। इसके बाद प्रयाग के विभाग प्रचारक तथा प्रयाग एवं काशी के संभाग प्रचारक रहे। पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के शारीरिक प्रमुख तथा व्यवस्था प्रमुख भी रहे। वर्ष 1975 में आपातकाल के दौरान भूमिगत रहकर संगठन का काम किया।
इसके बाद वर्ष 1981 में संघ ने उनकी योजना विहिप के लिए कर दी। विहिप ने जब देशभर में धर्म संस्कृति रक्षा निधि का संग्रह शुरू किया तो उसके लिए उन्होंने पूरे उत्तर प्रदेश का प्रवास किया।
परिषद के अविभाजित उत्तरप्रदेश और अविभाजित मध्य प्रदेश के अंचल संगठन मंत्री के रूप में इस संपूर्ण क्षेत्र में संगठन की आधारशिला रखी। कालांतर में परिषद के क्रमशः केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय संयुक्त महामंत्री और जीवन के अंतिम क्षण तक केंद्रीयय उपाध्यक्ष के दायित्व का निर्वहन किया।
वह सहजता, सरलता, विनम्रता, ध्येयनिष्ठा के मूर्तिमान स्वरूप थे। वह विहिप की मासिक पत्रिका हिंदू विश्व के संपादक भी रहे। मातृशक्ति, दुर्गा वाहिनी और बजरंग दल को नया आयाम उन्होंने ही प्रदान किया। वर्ष 2009 में विहिप ने कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए परिषद शिक्षा वर्ग आरंभ किया और गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ का संयुक्त वर्ग भोपाल में आयोजित किया गया। इसी वर्ग के बाद उनका स्वास्थ्य बिगड़ा और 23 जुलाई 2009 को उनका महाप्रयाण हो गया। ओंकार भावे आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का उनका सपना पूरा हो रहा है।