कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में घोषणा की है कि बीरभूम के देवचा-पचामी स्थित कोयला खदान में काम शुरू करने के लिए किसानों से बलपूर्वक जमीन नहीं ली जाएगी। यह एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खदान है।
मंगलवार को विधानसभा में वाम सरकार में सिंगुर में जबरन जमीन अधिग्रहण की घटना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हमारी सरकार जबरदस्ती कतई नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि देवचा-पचामी के किसानों के लिए मुआवजे की घोषणा सरकार पहले ही कर चुकी है। बावजूद इसके अगर कोई अन्य समस्याएं हैं तो उसे भी सुना जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर कोयले का खनन वहां जल्दी शुरू हो जाएगा तो राज्य में बिजली की कीमत भी घट जाएगी क्योंकि वहां से बड़े पैमाने पर कोयला निकाला जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर उद्योग आ रहे हैं। ममता ने कहा कि देवचा-पचामी के जिस क्षेत्र में कोयले का खनन होना है, वहां आदिवासी लोगों की संख्या अधिक है। बनर्जी ने कहा कि यहां 3400 एकड़ जमीन में 1178 मिलियन हेक्टेयर जमीन के नीचे कोयला है जबकि 1148 मिलियन हेक्टेयर में बास्लेट जमा हुआ है। उन्होंने बताया कि 3400 एकड़ में से एक हजार एकड़ सरकारी जमीन भी है। सबसे पहले सरकारी जमीन पर ही खनन का काम सरकार शुरू कराएगी। उसके बाद अन्य लोगों की जमीन के संबंध में उनकी सहमति से निर्णय लिए जाएंगे।
विश्व बांग्ला सम्मेलन 20 अप्रैल को
विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बात की भी घोषणा की कि राज्य में हर साल होने वाले विश्व बांग्ला औद्योगिक सम्मेलन का आयोजन अगले साल 20 अप्रैल को होगा। उन्होंने कहा कि कई बड़े उद्योगपतियों ने पश्चिम बंगाल में उद्योग लगाने की इच्छा जाहिर की है। पुरुलिया के रघुनाथपुर में 72 हजार करोड़ रुपये का निवेश हो रहा है। लेदर इंडस्ट्री के लिए लखनऊ से उद्योगपति बंगाल आए हैं। आईटी इंडस्ट्री के लिए 200 एकड़ जमीन पर काम शुरू हो गया है।