इतिहास के पन्नों में : 10 फरवरी – लोहे का स्वाद लोहार से मत पूछो/ घोड़े से पूछो, जिसके मुंह में लगाम है

आजादी के बाद की व्यवस्था से मोहभंग, सपनों के बिखराव और इससे उपजे आक्रोश को कवि सुदामा पांडे ‘धूमिल’ ने एक सशक्त चेहरा देकर प्रतिरोध की आवाज को अमर कर दिया। प्रतिरोध के प्रतिनिधि स्वर की जब कभी जरूरत पड़ेगी, धूमिल की पंक्तियां बरबस याद आएंगी- ‘एक आदमी रोटी बेलता है/ एक आदमी रोटी खाता है/ एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है/ वह सिर्फ रोटी से खेलता है।’

10 फरवरी 1975 को ब्रेन ट्यूमर की वजह से महज 38 साल की अल्पायु में अपने दौर का सबसे प्रखर चेतना संपन्न कवि का निधन हो गया। सुदामा पांडे धूमिल का जन्म 09 नवंबर 1936 को वाराणसी के पास खेवली गांव में हुआ था।

धूमिल अकविता आंदोलन के प्रमुख कवियों में एक हैं। उन्होंने अपने दौर में ऐसी काव्य भाषा गढ़ी, जिसने कविता में रूमानियत और अतिशय कल्पनाशीलता को लगभग बेमानी बना दिया। धूमिल ने कविताओं के प्रचलित व्याकरण को बदलकर रख दिया।

उनकी कविताएं उस व्यवस्था को आईना दिखाती है, जिसके लिए आम आदमी बेमानी है। दरअसल, उनकी कविता किसी कवि की कम, समाज की चिंता करने वाले व्यक्ति की अभिव्यक्ति कहीं ज्यादा है। इसलिए तो धूमिल ने कहा- ‘कविता की पहली शर्त आदमी होना है।’

60 के दशक के अत्यंत महत्वपूर्ण कवि धूमिल के तीन काव्य संग्रह हैं- संसद से सड़क तक, कल सुनना मुझे और सुदामा पांडेय का प्रजातंत्र। धूमिल के जीवित रहते उनका केवल एक कविता संग्रह प्रकाशित हुआ- संसद से सड़क तक। धूमिल को 1979 में मरणोपरांत ‘कल सुनना मुझे’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया।

अन्य अहम घटनाएं:

1818: अंग्रेजों और मराठा सेना के बीच रामपुर में तीसरा और अंतिम युद्ध लड़ा गया।

1846: जांबाज सिख लड़ाकों और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच सोबराऊं का युद्ध शुरू हुआ।

1921: महात्मा गांधी ने काशी विद्यापीठ का उद्घाटन किया।

1952: आजादी के बाद पहले लोकसभा चुनाव का आधा से अधिक का परिणाम आया, जिसमें कांग्रेस ने बहुमत का आंकड़ा पार किया।

1995: सुप्रसिद्ध साहित्यकार गुलशेर खां शानी का निधन।

2009: ख्यातिलब्ध शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी को भारत रत्न प्रदान किया गया।

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