पद्मश्री संत बलवीर सिंह सीचेवाल को मिलेगा विवेकानन्द सेवा सम्मान

कोलकाता : महानगर की सुप्रसिद्ध साहित्यिक-सामाजिक संस्था श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा प्रवर्तित 36वां ‘विवेकानन्द सेवा सम्मान’ प्रख्यात पर्यावरणविद् एवं नदी संरक्षणवादी समाजसेवी पद्मश्री संत बलवीर सिंह सीचेवाल (जालंधर) को प्रदान किया जायेगा। कोलकाता के रथीन्द्र मंच में 26 फरवरी को आयोजित एक विशेष समारोह में उन्हें सम्मानित किया जायेगा। सम्मान स्वरूप शॉल, मानपत्र एवं एक लाख रुपये की राशि प्रदान की जायेगी।

पंजाब के जालंधर जिले के सीचेवाल गांव के कृषि परिवार में 2 फरवरी, 1962 को जन्मे संत बलवीर सिंह सीचेवाल ने 1981 में आध्यात्मिक गुरु संत अवतार सिंह के लोकमंगल कार्यों से प्रभावित होकर अपनी स्नातक की पढ़ाई को बीच में ही छोड़कर उनके कार्यों में योगदान देना प्रारम्भ कर दिया। जून, 1988 में संत अवतार सिंह के देहावसान के बाद उन्हें ‘निर्मल कुटैया सीचेवाल’ का प्रमुख बनाया गया। अविवाहित रहकर समाज सेवा का संकल्प लेने वाले बलवीर सिंह सीचेवाल ग्राम के दो बार निर्विरोध सरपंच रहे। सन 2000 में घरेलू एवं औद्योगिक प्रदूषण के कारण मृतप्राय: “काली बेन’ नदी को कारसेवा के माध्यम से साफ करने का बीड़ा उठाया और 160 किमी. लम्बी इस नदी के तल से जलकुंभी एवं गाद साफ करके पुन: स्वच्छ एवं पवित्र बनाने का यशस्वी कार्य किया।

‘सड़कों के बाबा’ के नाम से सुपरिचित सीचेवाल ने वहां के पिछड़े क्षेत्रों में हजारों किलोमीटर सड़कों के निर्माण का कार्य किया है। साथ ही पौधरोपण, छुआछूत-अंधविश्वास-नशा उन्मूलन, बाढ़ राहत तथा कम लागत में शिक्षा आदि सेवा कार्यों के लिए “एक ओंकार चेरिटेबल ट्रस्ट’ की स्थापना की तथा “ईको बाबा’ के नाम से विख्यात हुए। उनके सेवा कार्यों से प्रभावित होकर भारत सरकार ने उन्हें 2017 ई. में “पद्मश्री’ से सम्मानित किया। पंजाब रत्न अवार्ड, निर्मल ग्राम पुरस्कार, मधु भासीन अवार्ड प्रभृति अनेक सम्मानों से समादृत सीचेवाल पर्यावरण के पुरोधा माने जाते हैं।

कुमारसभा पुस्तकालय के मंत्री महावीर बजाज ने बताया कि 1987 में स्वामी विवेकानन्द की 125वीं जयन्ती के अवसर पर स्वामीजी के आदर्शों के अनुरूप समाजसेवा, संस्कार एवं सामाजिक पुनरुत्थान के लिए समर्पित व्यक्तियों अथवा संस्थाओं हेतु विवेकानन्द सेवा सम्मान का प्रवर्तन किया था। प्रथम सम्मान नागालैंड की रानी गाइदिनल्यु को एवं गत वर्ष का सम्मान कोलकाता के सेवासाधक बनवारीलाल सोती को प्रदान किया गया था।

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