माहेश्वरी पुस्तकालय में हुई कवियों की दो दिवसीय काव्यशाला

कोलकाता : माहेश्वरी पुस्तकालय की 107 वर्षीय यात्रा को नमन करने के उद्देश्य से सृजित, “शतदल अर्पण” कार्यक्रम श्रृंखला के अन्तर्गत आयोजित दो दिवसीय काव्यशाला का भव्य आयोजन, स्थानीय माहेश्वरी भवन में हुआ। शनिवार की सुबह काव्यशाला का श्रीगणेश करते हुए, माहेश्वरी पुस्तकालय स्थित मन्दिर में मुकुंद राठी ने गणेश जी को शतदल अर्पित किया, वहीं पुस्तकालय के उपाध्यक्ष राधेश्याम झँवर ने वाग्देवी सरस्वती को शतदल अर्पित किया।

माहेश्वरी संगीतालय के मंत्री महेश दम्माणी के नेतृत्व में संगीतालय के छात्रों ने संगीतमय गणेश वन्दना एवं सरस्वती वन्दना की।

काव्यशाला के प्रथम दिवस के प्रथम सत्र में, “समाज ने साहित्य रूपी दर्पण देखना बंद कर दिया है?” विषय पर, चिन्तक महावीर प्रसाद बजाज की अध्यक्षता में चर्चा हुई। विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित थे डा. बिट्ठल दास मूँधड़ा। वक्ताओं में, भोपाल से पधारे मध्यप्रदेश लेखक संघ के महामंत्री राजेन्द्र गट्टाणी, गुवाहाटी की प्रसिद्ध लेखिका-कवयित्री पुष्पा सोनी, जयपुर के कवि प्रह्लाद चाण्डक, डा. महेश महेश्वरी, सभा के वरिष्ठ सदस्य, बुलाकीदास मिम्माणी, औद्योगिक शिक्षण केन्द्र के मंत्री अरुण सोनी, सीए विशाल पच्चीसिया आदि ने अपने विचार रखे।

काव्यशाला के प्रथम दिवस का तृतीय सत्र, महानगर के वरिष्ठ कवि पं. रामेश्वरनाथ मिश्र “अनुरोध” की अध्यक्षता में हुआ। इसमें, मध्यप्रदेश लेखक संघ के महामंत्री कवि राजेन्द्र गट्टाणी, कूचबिहार के कवि हरिकिशन मूँधड़ा, गुवाहाटी की कवयित्री पुष्पा सोनी एवं जयपुर के कवि प्रह्लाद चाण्डक ने काव्यपाठ किया।

रविवार को, दूसरे दिन का आरम्भ, काव्यशाला के चौथे सत्र से हुआ। सुप्रसिद्ध मार्क्सवादी विचारक, लेखक अरुण माहेश्वरी की अध्यक्षता में, ‘हम क्यों लिखें? क्या लिखें? हमारे लेखन की सार्थकता क्या है?’ इन प्रश्नों पर मंथन हुआ। मध्यप्रदेश लेखक संघ के महामंत्री राजेन्द्र गट्टाणी, गुवाहाटी के महिला संगठनों की विचारक पुष्पा सोनी, जयपुर के शिक्षक प्रह्लाद चांडक, पुस्तकालय के उपाध्यक्ष, राधेश्याम झँवर, डा. महेश माहेश्वरी, शंकर लाल सोमानी, अशोक चाण्डक आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। काव्यशाला के संयोजक, नन्दकुमार लढ़ा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

पाँचवें एवं अन्तिम सत्र से पहले, काव्यशाला के आगामी सत्रों की सफलता हेतु साहित्यप्रेमी संगीत साधक सुरेश डागा ने सरस्वती मन्दिर में दीप प्रज्ज्वलित किया।

पहली काव्यशाला का पाँचवाँ और अन्तिम सत्र, अपने शहर कोलकाता के कवि, सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्यकार जयकुमार रुस्वा की अध्यक्षता में, आमंत्रित कवियों की साक्षी में हुआ। अतिथि कवियों के अतिरिक्त कोलकाता के काव्य हस्ताक्षरों में मंचासीन थे, वरिष्ठ गीतकार चंद्रिका प्रसाद पाण्डेय ‘अनुरागी’ वरिष्ठ कवयित्री सुशीला चनानी तथा शहर के सुपरिचित कवि ‘शब्दाक्षर’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह। युवा कवि नन्दू बिहारी ने सरस्वती वन्दना से इस सत्र का शुभारम्भ किया। आलोक चौधरी, गजेन्द्र नाहटा, अंजू छारिया, नवीन सिंह, कृष्ण कुमार दूबे, सेराज खान बातिश, मंजू बैज इशरत, रंगकर्मी राजेन्द्र कानूनगो। कार्यक्रम अध्यक्ष सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि जयकुमार रुस्वा के साथ मंचासीन कवियों यथा रवि प्रताप सिंह, ‘अनुरागी’ जी व शुशीला चनानी ने भी काव्यपाठ किया। पाँचों ही सत्रों का सफल संचालन पुस्तकालय के मंत्री संजय बिन्नाणी ने किया।

आयोजन को सफल बनाने में, सभामंत्री पुरुषोत्तम दास मूँधड़ा, पुस्तकालय के उपमंत्री राजकुमार डागा, कोषमंत्री जयन्त डागा, अशोक लढ़ा, विजय बागड़ी, राजकुमार चाण्डक, सुनील बागड़ी, केशव बिन्नाणी, रामजी मक्कड़, राम मोहता आदि सक्रिय रहे। काव्यशाला के प्रत्येक सत्र में, माहेश्वरी पुस्तकालय कार्यकारिणी समिति की एकमात्र महिला सदस्य, डा. सरला बिन्नाणी की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।

सम्बलपुर से चल कर, इस कार्यक्रम के लिए विशेष रूप से कोलकाता आये महेश एस. नारायण दम्माणी की सारगर्भित उपस्थिति रही।

मुकुंद राठी, सुरेश बिन्नाणी, ब्रजमोहन मूँधड़ा, मदनमोहन बिन्नाणी, सुशील बागड़ी, ब्रजमोहन लाल दम्माणी, सुरेश बागड़ी, केशव भट्ठड़, प्रकाश मूँधड़ा, नरेन्द्र करनानी, राजकुमार तिवाड़ी, गायक बसन्त मोहता सरीखे गण्यमान्य श्रोताओं की उपस्थिति ने काव्यशाला के आयोजन की श्रीवृद्धि की।

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