बंगाल में भी अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति के नाम पर व्यापक धांधली के आरोप

कोलकाता : देशभर में अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति और अन्य भत्ते के नाम पर करोड़ों रुपये के गबन के मामले उजागर हुए हैं। इसके बाद केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की है। इसके बाद बंगाल भाजपा के वरिष्ठ विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर ऐसी ही धांधली का आरोप लगाया है। सोमवार को उन्होंने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स पर इसी तरह के आंकड़े साझा करते हुए सीबीआई के निदेशक से जांच में इसे शामिल करने की मांग की है। उन्होंने लिखा है, “तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टी (तृणमूल) द्वारा शासित राज्य में लाभ के लिए अल्पसंख्यक समुदायों को इस प्रकार ठगा जाता है।

सबसे पहले, मैं केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी को धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले की सीबीआई जांच शुरू करने के लिए सिफारिश की है। इस छात्रवृत्ति कार्यक्रम से जुड़े लगभग 830 संस्थान “फर्जी” पाए गए हैं, जिससे 144.83 करोड़ रुपये का घोटाला पिछले पांच वर्षों में हुआ है।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में जिन संस्थानों में अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र कथित तौर पर इस तरह की छात्रवृत्ति का लाभ उठा रहे थे, उनमें से 39 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए हैं।

सत्यापन प्रक्रिया जो पुष्टि करती है कि कोई छात्र छात्रवृत्ति के लिए पात्र है या नहीं, संस्थानों के एक नोडल अधिकारी द्वारा किया जाता है, जिसे बाद में जिला नोडल अधिकारी द्वारा अनुमोदित किया जाना होता है। ये सरकारी अधिकारी होते हैं।

पश्चिम बंगाल में, संस्थानों से ऐसे नोडल अधिकारी होने का दिखावा करने वाले व्यक्ति तृणमूल नेता हैं, यही कारण है कि उनकी “सत्यापन प्रक्रिया” को अल्पसंख्यक मामलों और मदरसा शिक्षा विभाग के अधिकारियों और जिला प्रशासन द्वारा भी अनुमोदित किया गया था। इन लोगों ने आपस में सांठगांठ कर अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लाभ के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए गए करोड़ों रुपये को लूटने के लिए सह-साजिशकर्ता के रूप में काम किया।

मैं राष्ट्रीय मीडिया में घोटाले की खबर सामने आने से बहुत पहले, पश्चिम बंगाल के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज तीन एफआईआर का विवरण प्रदान करना चाहता हूं, जिसमें पुलिस को घोटाले के बारे में सूचित किया गया था।

# एफआईआर नंबर 335/22; दिनांक- 16/12/2022; नक्सलबाड़ी पुलिस स्टेशन; दार्जिलिंग पुलिस जिला।

एफआईआर नंबर 08/23; दिनांक- 11/01/2023; खोरीबारी पुलिस स्टेशन, दार्जिलिंग पुलिस जिला।

# एफआईआर नंबर 381/23; दिनांक-18/05/2023; चंडीतला पुलिस स्टेशन, हुगली ग्रामीण पुलिस जिला।

शुभेंदु ने आगे लिखा- “हमेशा की तरह पुलिस कार्रवाई करने में अनिच्छुक थी क्योंकि इनमें टीएमसी नेता शामिल थे। इसलिए, मैं सीबीआई मुख्यालय के निदेशक से अनुरोध करता हूं कि इन एफआईआर को भी अपनी जांच के दायरे में शामिल करें।

यहां कुछ कथित अपराधियों के विवरण का एक नमूना (बाद में और साझा किया जाएगा) दिया गया है, जिनके खिलाफ कई बार विभिन्न संबंधित अधिकारियों और पुलिस को शिकायतें की गईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गईं।”

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