अमेरिका ने वार्षिक रिपोर्ट में भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध पर चिंता जताई

नयी दिल्ली : अमेरिका ने भारत और चीन के बीच तीन साल से चल रहे सीमा गतिरोध पर चिंता जताते हुए अमेरिकी कांग्रेस में अपनी वार्षिक रिपोर्ट पेश की है। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) से जुड़े सैन्य और सुरक्षा विकास पर अमेरिकी रक्षा विभाग की इस रिपोर्ट को चीन सैन्य शक्ति रिपोर्ट (सीएमपीआर) के रूप में भी जाना जाता है। यह रिपोर्ट चीन की राष्ट्रीय, आर्थिक और सैन्य रणनीति को दर्शाती है, जिसमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की रणनीति, वर्तमान क्षमताओं और गतिविधियों के साथ-साथ सेना के आधुनिकीकरण को भी दर्शाया गया है।

पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से जुड़े सैन्य और सुरक्षा विकास पर अमेरिकी रक्षा विभाग ने 19 अक्टूबर को यह वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट चीन के जनवादी गणराज्य (पीआरसी) की राष्ट्रीय, आर्थिक और सैन्य रणनीति की मौजूदा स्थिति को दर्शाती है।रिपोर्ट में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की रणनीति, वर्तमान क्षमताओं और गतिविधियों के साथ-साथ भविष्य के आधुनिकीकरण लक्ष्यों के बारे में भी बताया गया है। अमेरिकी राष्ट्रीय रक्षा रणनीति ने पीआरसी और इसकी तेजी से सक्षम सेना को शीर्ष चुनौती के रूप में पहचाना है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि मई, 2020 से शुरू होकर पीआरसी और भारतीय सेनाओं को एलएसी के साथ कई स्थानों पर पत्थरों, डंडों और कंटीले तारों से लिपटे डंडों के साथ झड़पों का सामना करना पड़ा। गतिरोध के कारण विवादित सीमा के दोनों ओर सेनाओं का जमावड़ा शुरू हो गया। दोनों देशों ने एक-दूसरे की सेनाओं की वापसी और पूर्व की स्थिति पर लौटने की मांग की लेकिन न तो चीन और न ही भारत उन शर्तों पर सहमत हुए। पीआरसी ने गतिरोध के लिए भारतीय बुनियादी ढांचे के निर्माण को जिम्मेदार ठहराया, जिसे वह पीआरसी क्षेत्र पर अतिक्रमण के रूप में मानता था। इसके विपरीत भारत ने चीन पर भारतीय क्षेत्र में आक्रामक घुसपैठ शुरू करने का आरोप लगाया।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि 15/16 जून, 2020 को गलवान घाटी में गश्ती दल के बीच हिंसक झड़प हुई और परिणामस्वरूप लगभग 20 भारतीय सैनिक और चार चीनी सैनिक मारे गए। यह घटना 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद दोनों के बीच सबसे घातक झड़प थी। इस झड़प के बाद पीएलए ने एलएसी के साथ लगातार सेना की उपस्थिति और बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखा है। चीन ने 2022 में एलएसी पर सैन्य बुनियादी ढांचे का विकास किया है। इन निर्माण कार्यों में डोकलाम के पास भूमिगत भंडारण सुविधाएं, एलएसी के सभी तीन क्षेत्रों में नई सड़कें, पड़ोसी भूटान के विवादित क्षेत्रों में नए गांव, पैंगोंग झील पर एक दूसरा पुल, केंद्र क्षेत्र के पास एक दोहरे उद्देश्य वाला हवाई अड्डा और कई हेलीपैड शामिल हैं।

अमेरिकी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि 2022 में चीन ने एलएसी के पश्चिमी क्षेत्र में चार संयुक्त हथियार ब्रिगेड (सीएबी) के साथ झिंजियांग और तिब्बत सैन्य जिलों के दो डिवीजनों से समर्थित एक सीमा रेजिमेंट तैनात की। चीन ने अन्य थिएटर कमांड से पूर्वी क्षेत्र में तीन हल्के से मध्यम सीएबी और एलएसी के मध्य क्षेत्र में अतिरिक्त तीन सीएबी तैनात किए हैं। हालांकि, कुछ संयुक्त हथियार ब्रिगेड को पीछे हटाया गया है लेकिन तैनात बलों का अधिकांश हिस्सा एलएसी पर यथावत बना हुआ है। भारत-चीन के बीच 17 जुलाई, 2022 को कोर कमांडर-स्तरीय 16वें दौर की वार्ता हुई, जिसमें दोनों पक्ष एलएसी के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र से सेना हटाने पर सहमत हुए। इसके बाद चीनी और भारतीय सेनाएं एलएसी के पश्चिमी क्षेत्र के साथ गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र से हटना शुरू कर दीं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत और चीन के बीच परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 24वीं बैठक 31 मई, 2022 को हुई थी लेकिन एलएसी के पश्चिमी क्षेत्र से सैनिकों को हटाने की दिशा में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई। इसके बाद 14 अक्टूबर, 2022 को चीन और भारत के प्रतिनिधियों ने डब्ल्यूएमसीसी की आभासी 25वीं बैठक में सीमा पर तनाव को कम करने और आपातकालीन प्रतिक्रिया से सीमा क्षेत्रों के नियमित प्रबंधन की ओर कदम बढ़ाने के लिए उपाय करने पर सहमति व्यक्त की। इसके बाद 9 दिसंबर, 2022 को भारत के तवांग के यांग्त्से क्षेत्र के पास एलएसी के पूर्वी क्षेत्र में सैकड़ों चीनी और भारतीय सैनिक भिड़ गए।

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