इतिहास के पन्नों में 12 अप्रैलः अंतरिक्ष की लड़ाई में अमेरिका पर सोवियत संघ की जीत के नायक हैं यूरी गागरिन

देश-दुनिया के इतिहास में 12 अप्रैल की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सोवियत संघ के लिए आज भी खास है, क्योंकि यूरी गागरिन 12 अप्रैल, 1961 को अंतरिक्ष जाने वाले पहले शख्स बने थे। यह अंतरिक्ष की लड़ाई में अमेरिका पर सोवियत संघ की बड़ी जीत मानी जाती है। उनकी सकुशल वापसी ने तो इस जीत को निर्विवाद बना दिया था। मॉस्को में इस तारीख को सुबह के 9:37 बज रहे थे। पूरा सोवियत संघ सांस थामे एकटक आसमान की ओर देख रहा था।

जैसे ही वोस्टॉक-1 एयरक्राफ्ट को लॉन्च किया गया, सभी की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। इस क्षण जो हुआ, वो इतिहास में इससे पहले कभी नहीं हुआ। पहली बार किसी इंसान ने अंतरिक्ष में कदम रखा। इसके साथ ही यूरी गागरिन का नाम भी इतिहास में दर्ज हो गया। यूरी 108 मिनट बाद धरती पर वापस लौटे। पूरी दुनिया ने उनका स्वागत एक हीरो की तरह किया।

साल 1934 में तब के सोवियत संघ (आज के रूस) के क्लूशीनो गांव में जन्मे यूरी एलेक्सेविच गागरिन एक बढ़ई के बेटे थे। जब यूरी 6 साल के थे, तब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उनके घर पर एक नाजी अधिकारी ने कब्जा कर लिया। उनके पूरे परिवार को दो साल तक झोपड़ी में रहना पड़ा। नाजियों ने उनकी दो बहनों को बंधुआ मजदूर बनाकर जर्मनी भेज दिया। वह जब 16 वर्ष के हुए तो मॉस्को चले गए। वहां उन्हें सरातोव के एक टेक्निकल स्कूल में जाने का मौका मिला। वहां उन्होंने एक फ्लाइंग स्कूल को ज्वॉइन कर लिया। यहीं से उनके मन में प्लेन में बैठकर आसमान छूने का सपना पलने लगा। 1955 में उन्होंने पहली बार अकेले विमान उड़ाया। 1957 में ग्रेजुएशन पूरा कर यूरी एक फाइटर पायलट बन गए ।

1957 में ही सोवियत संघ ने पहले सैटेलाइट स्पूतनिक-1 को अंतरिक्ष में स्थापित किया था। इसके बाद तय किया गया कि अब इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाए। इसके लिए पूरे देश से आवेदन मंगवाए गए। हजारों लोगों की कड़ी मानसिक और शारीरिक परीक्षा ली गई। आखिरकार 19 लोगों का चयन हुआ। यूरी गागरिन भी इनमें से एक थे। अंतरिक्ष से लौटने के बाद गागरिन दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग देने लगे। 27 मार्च 1968 को ऐसे ही एक ट्रेनिंग सत्र के दौरान उनका मिग-15 जहाज हादसे का शिकार हो गया। हादसे में यूरी गागरिन और साथी पायलट की मौके पर ही मौत हो गई। उन्हें सम्मान देने के लिए 1968 में उनके होम टाउन का नाम बदलकर ‘गागरिन’ रख दिया गया।

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