कोलकाता : टाटा मोटर्स लिमिटेड (टीएमएल) ने सोमवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को बताया कि तीन सदस्यीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने पश्चिम बंगाल सरकार को ब्याज के अलावा 765.78 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। हालांकि राज्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि राज्य सरकार टाटा मोटर्स को फिलहाल मुआवजा नहीं देगी। इसके खिलाफ दोबारा अपील की जाएगी।
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सिंगूर में नैनो कार परियोजना के बंद होने के लिए कंपनी को मुआवजे के रूप में सितंबर 2016 से उस पर 11 प्रतिशत की दर से मुआवजा देना देने का आदेश न्यायाधिकरण ने दिया है। उक्त अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार के पास ट्रिब्यूनल के आदेश को ऊपरी अदालत में चुनौती देने का विकल्प है। डब्ल्यूबीआईडीसी अधिकारियों ने दावा किया है कि सोमवार शाम तक उन्हें इस मामले में कोई जानकारी नहीं मिली है।
उल्लेखनीय है कि 2006 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आने के बाद तत्कालीन बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार ने टीएमएल द्वारा सिंगूर में नैनो परियोजना की घोषणा की थी। राज्य सरकार द्वारा परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने के बाद वहां कारखाना स्थापित करने का काम शुरू हुआ। समस्या तब शुरू हुई, जब जमीन मालिकों के एक छोटे वर्ग ने मुआवजे का चेक लेने से इनकार कर दिया और भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। उस समय की प्रमुख विपक्षी पार्टी, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ सिंगूर में एक बड़ा आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन उग्र होता देख कर टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा अंततः सिंगूर से हट गए और नैनो परियोजना को गुजरात के साणंद में ले गए।
2011 में सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली कैबिनेट का पहला निर्णय सिंगूर में सभी भूमि मालिकों को भूमि वापस करने के लिए एक नया कानून लागू करना था। अब पश्चिम बंगाल सरकार के साथ टाटा समूह के व्यापारिक रिश्ते हैं। ऐसे में न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ अगर राज्य सरकार री-अपील करती है तो इससे राज्य सरकार के लिए बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट से पहले समस्या खड़ी हो सकती है।