कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार को लेकर चौतरफा किरकिरी झेल रही राज्य सरकार ने नगरपालिका नियुक्ति में सीबीआई प्राथमिकी को लेकर आपत्ति जताई है। इसे लेकर राज्य सरकार की ओर से केंद्रीय एजेंसी को पत्र लिखा गया है जिसमें इस बात का दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक के बावजूद सीबीआई का इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करना स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।
बंगाल सरकार ने सीबीआई को पत्र लिखकर सवाल किया है कि शीर्ष अदालत द्वारा शुक्रवार को मामले की सुनवाई होने तक सीबीआई को “मामले पर कोई कार्रवाई नहीं करने” के निर्देश के बाद भी वह नगरपालिका नियुक्तियों के मामले में प्राथमिकी कैसे दर्ज कर सकता है?
शीर्ष अदालत में राज्य की स्थायी वकील आस्था शर्मा ने सीबीआई की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा के एसपी को लिखा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीबीआई, एक केंद्रीय एजेंसी होने के नाते, उच्चतम न्यायालय की स्पष्ट टिप्पणियों का जानबूझकर अनादर करने के लिए इस तरह के गुप्त तरीके से काम कर रही है।’’
शर्मा ने कहा, “माननीय शीर्ष अदालत की टिप्पणियों के बावजूद प्राथमिकी दर्ज करने का कार्य पूरी तरह से अवमाननापूर्ण और अनुचित है।’’
शर्मा ने कहा कि राज्य अपने अधिकार को कम करने के लिए सीबीआई के “अहंकारी आचरण” पर शीर्ष अदालत को सूचित करेगा।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा का एक खंडपीठ शुक्रवार को मामले की सुनवाई कर सकता है।
कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने 21 अप्रैल को सीबीआई को एक नई प्राथमिकी दर्ज करने और ईडी की एक रिपोर्ट के आधार पर नगरपालिका नियुक्तियों की जांच शुरू करने का निर्देश दिया था। बंगाल सरकार ने इसे 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।