कल्याणी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा ‘एम. ए. हिन्दी पाठ्यक्रम नवीनीकरण’ विषय पर कार्यशाला आयोजित

कल्याणी : कल्याणी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा ‘एम.ए. हिंदी पाठ्यक्रम नवीनीकरण’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के आयोजन में कल्याणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मानस कुमार सान्याल की अहम भूमिका रही।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दामोदर मिश्र, विशिष्ट अतिथि के रूप में कल्याणी विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. गौतम पाल, कला व वाणिज्य विभाग के अधिष्ठाता प्रो. अमलेंदु भुइयां, आई. क्यू. ए. सी. के निदेशक प्रो. नन्द कुमार घोष एवं लोक संस्कृति विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुजय कुमार उपस्थित थे। कार्यशाला का विषय-प्रवर्तन विभाग की अध्यक्ष डॉ. विभा कुमारी ने किया एवं उद्घाटन सत्र का संचालन विभाग के प्रो. हिमांशु कुमार ने किया।

तकनीकी सत्र में बतौर विषय विशेषज्ञ अपनी बात रखते हुए विश्वभारती विश्वविद्यालय के प्रो. मुक्तेश्वर नाथ तिवारी ने कहा कि प्रस्तावित पाठ्यक्रम में नए-पुराने विषयों के संतुलन का संतुलन रखा गया है। काज़ी नजरुल विश्वविद्यालय के प्रो. विजय कुमार भारती ने पाठ्यक्रम को सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन की पृष्ठभूमि के रूप में देखने की बात कही। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. आशीष त्रिपाठी ने प्रस्तावित पाठ्यक्रम का बेहद बारीक विश्लेषण करते हुए कहा कि एक आदर्श पाठ्यक्रम में हर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।

अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. दामोदर मिश्र ने पाठ्यक्रम बनाने की चुनौतियों एवं सीमाओं की विस्तारपूर्वक चर्चा की एवं उन्होंने पाठ्यक्रम पर तटस्थ होकर विचार करने की आवश्यकता को समझा और पाठ्यक्रम को संतुलित बनाने पर जोर दिया।
प्रतिभागियों में विद्यासागर विश्वविद्यालय के प्रो. संजय कुमार जायसवाल ने कहा कि यह पाठ्यक्रम रोजगारमूलक होने के साथ सामाजिक, राष्ट्रीय, स्थानीय एवं लोक संस्कृति का समावेश है। समकालीन साहित्य को जोड़ने से वर्तमान समय के साथ विद्यार्थियों की एक वैचारिक समझ विकसित होगी।

कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रो. रामप्रवेश रजक ने प्रवासी साहित्य, लोक साहित्य एवं गीत गजल को पाठ्यक्रम में रखने की बात कही। इस अवसर पर सुनीता मण्डल, रमेश यादव, अरुण प्रसाद रजक, दीक्षा गुप्ता आदि आगत शिक्षकों ने अपने सुझावों से कार्यशाला को अर्थपूर्ण बनाया। तकनीकी सत्र का संचालन शोधार्थी अनूप कुमार गुप्ता, तकनीकी संयोजन शोधार्थी विकास कुमार एवं पवन कुमार साव एवं अन्य शोधार्थियों और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. हिमांशु कुमार ने किया।

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