नयी दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव आलापन बंदोपाध्याय की याचिका को कैट के प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाले बेंच ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया।
25 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि ट्रिब्युनल को एक बेंच से दूसरे बेंच को मामला ट्रांसफर करने का विशेषाधिकार है। उन्होंने कहा था कि पिछले साल मई में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चक्रवात ‘यास’ से हुए नुकसान का जायजा लेने कलाईकुंडा एयरबेस पर पहुंचे तो बंदोपाध्याय उन्हें रिसीव करने नहीं पहुंचे थे, जो कि घोर उल्लंघन है।
पहले इस मामले को सिंगल बेंच से डिवीजन बेंच में ट्रांसफर किया गया था। आलापन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कैट के दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कैट के कोलकाता बेंच से केस प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर करने का आदेश दिया गया। याचिकाकर्ता बंदोपाध्याय की ओर से वकील कुणाल मीमाणी ने कहा कि प्रिंसिपल बेंच का आदेश नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है। बंदोपाध्याय को ट्रांसफर पिटीशन पर अपनी बात रखने का मौका भी नहीं दिया गया।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में 28 मई 2021 को चक्रवात ‘यास’ को लेकर हुई बैठक में बंगाल के मुख्य सचिव रहते हुए आलापन के शामिल नहीं होने पर केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। आलापन को दिल्ली रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें रिलीव करने से इनकार कर दिया था। इस बीच 31 मई को बंदोपाध्याय रिटायर हो गए, लेकिन केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई जारी रखी ताकि उन्हें रिटायरमेंट से जुड़े लाभ नहीं मिल पाएं।
बंदोपाध्याय ने केंद्र की कार्रवाई को कैट की कोलकाता बेंच में चुनौती दी थी, लेकिन केंद्र के अनुरोध पर कैट ने 21 अक्टूबर को इस मामले को कैट के दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर कर दिया और बंदोपाध्याय को निर्देश दिया गया कि वो प्रिंसिपल बेंच के समक्ष 22 अक्टूबर, 2021 को उपस्थित हों। बंदोपाध्याय ने इस फैसले को कलकत्ता हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने बंदोपाध्याय की याचिका पर केंद्र सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से अपनाई गई पूरी प्रक्रिया से पूर्वाग्रह की बू आ रही है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इसके साथ ही केस को प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर करने के आदेश को निरस्त कर दिया। हाई कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने गत 6 जनवरी को कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया था। अब बंदोपाध्याय ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।