बंगाल की तुलना तेलंगाना से करने पर दिलीप ने किया अमित शाह का समर्थन

Dilip Ghosh

न्यूटाउन : पश्चिम बंगाल को बदनाम करने के आरोप लगाने को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आठ महिलाओं और दो बच्चों को जलाने से बदनामी नहीं होती, 13 साल की बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म हुआ तो बंगाल की बदनामी नहीं होगी लेकिन जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस बारे में बात करते हैं तो बंगाल बदनाम होता है।

दरअसल, शनिवार को हैदराबाद में एक जनसभा में अमित शाह ने बंगाल की तुलना तेलंगाना राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था से की थी। इस पर तृणमूल कांग्रेस ने विरोध जताया था और आरोप लगाया कि अमित शाह देश में बंगाल की छवि खराब कर रहे हैं।

रविवार को तृणमूल कांग्रेस के इस आरोप के मद्देनजर भाजपा नेता दिलीप घोष राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर मुखर हुए। उन्होंने कहा कि पूरे देश को यह जानने की जरूरत है कि पश्चिम बंगाल में राजनीति कैसे चल रही है, कानून की स्थिति क्या है? लोकतंत्र की स्थिति क्या है। तेलंगाना के संबंध में घोष ने कहा कि टीआरएस सरकार ने भी भाजपा पर अत्याचार करना शुरू कर दिया है। घोष ने त्रिपुरा में राजनीतिक स्थिति पर कहा कि भाजपा व्यक्तिगत निर्भर पार्टी नहीं है। इसलिए संगठनात्मक फेरबदल की तरह ही प्रशासनिक स्तर पर भी फेरबदल होते हैं। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों में समय से पहले मुख्यमंत्री बदल गए हैं। हालांकि, उनका मानना है कि भाजपा के मामले में यह बहुत कम हैं। उन्होंने दावा किया कि यह बदलाव लोगों के गुस्से या बिप्लब देव को नहीं अपनाने के कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो भाजपा हाल ही में त्रिपुरा नगरपालिका चुनाव नहीं जीत पाती।

बऊबाजार मेट्रो आपदा पर दिलीप घोष ने मुख्यमंत्री और फिरहाद हाकिम पर हमला बोला। तृणमूल के मंत्री फिरहाद हाकिम ने बऊबाजार मेट्रो कार्य से हुए नुकसान के लिए केएमआरसीएल की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया लेकिन दिलीप घोष ने इस आरोप को खारिज किया। उन्होंने दावा किया कि ईस्ट-वेस्ट मेट्रो के मौजूदा रूट की योजना ममता बनर्जी ने बनाई है और मुख्यमंत्री ने मेट्रो रेल के डिजाइन के तरीके को बदल दिया है और इसका खामियाजा आम आदमी को भुगताना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मेयर होकर भी जो शहर के जमे हुए पानी को नहीं निकाल सकते, शहर में बिजली की समुचित सेवा नहीं दे पा रहे हैं, उनके मुँह से बड़ी बड़ी बातें शोभा नहीं देतीं।

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