इतिहास के पन्नों में 09 फरवरी : कुष्ठ रोगियों के उद्धारक

समाजसेवा के क्षेत्र में एक नयी लकीर खींचने वाले बाबा आम्टे के नाम से सुविख्यात डॉ. मुरलीधर देवीदास आम्टे का 9 फरवरी 2008 को 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 26 दिसंबर 1914 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के हिंगणघाट में पैदा हुए बाबा आम्टे ने सामाजिक रूप से परित्यक्त कुष्ठ रोगियों के लिए महाराष्ट्र स्थित चंद्रपुर में आनंदवन सहित कई आश्रमों की स्थापना कर इस वर्ग के उद्धार के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने वरोडा के पास घने जंगल में पत्नी साधनाताई, दो पुत्रों, एक गाय और सात कुष्ठ रोगियों के साथ आनंदवन की स्थापना की और कई दशकों तक उन्होंने इसे ऐसी कर्मभूमि में बदल दिया जो औरों के लिए प्रेरणा है।

सामाजिक कार्यों को जीवन समर्पित करने वाले बाबा आम्टे आजादी की लड़ाई में अमर शहीद राजगुरु के सहयोगी रहे। हालांकि आगे चलकर वे गांधीजी से प्रभावित होकर अहिंसात्मक विचारधारा को अपना लिया। जीवन भर कुष्ठ रोगियों, आदिवासियों और मजदूर-किसानों के लिए काम करने वाले बाबा आम्टे को देश-दुनिया में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1971 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान, 1983 में उन्हें कुष्ठ रोगियों की सेवा के क्षेत्र में दिये जाने वाले अमेरिका का डेमियन डट्टन पुरस्कार, 1985 में रेमन मैगसेसे पुरस्कार, 1988 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार सम्मान दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

82 + = 90