सदन में जबरन रोकने वाली तृणमूल महिला विधायकों की हरकत को राज्यपाल ने बताया संविधान के विरुद्ध

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सोमवार को सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के विधायकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राज्यपाल ने तृणमूल की महिला विधायकों को सदन में उन्हें इस तरह से रोकने के प्रयास को संविधान के विरुद्ध बताया।

राज्यपाल धनखड़ ने विधानसभा के बजट सत्र में भाजपा विधायकों के हंगामे को लेकर उठे विवाद के बीच सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के विधायकों पर उन्हें शारीरिक और मौखिक तौर पर रोकने के आरोप लगाए हैं। आरोप है कि विधानसभा से निकलने के दौरान तृणमूल कांग्रेस की महिला विधायकों ने उन्हें कथित तौर पर बलपूर्वक रोका। उस समय तो राज्यपाल चले गए थे लेकिन सोमवार की शाम को एक कार्यक्रम में पत्रकारों के सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि यह सच है कि सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों ने मुझे मौखिक और शारीरिक तौर पर रोकने का प्रयास किया है। इस पर मैंने विधानसभा सचिव से मार्शल को बुलाने के लिए कहा था लेकिन मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष की मौजूदगी की वजह से मार्शल ने कुछ नहीं किया, यह संविधान के विरुद्ध है। ऐसी घटनाएं काफी दुखद होती हैं और भविष्य में नहीं होनी चाहिए।

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उन्होंने तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों पक्षों को नसीहत देते हुए कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए इस तरह का माहौल ठीक नहीं है, इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। एक सवाल के जवाब में राज्यपाल ने कहा कि मैं नहीं चाहता कि राज्य में किसी भी तरह का संवैधानिक संकट शुरू हो।

उल्लेखनीय है कि विधानसभा में हंगामे के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजभवन पहुंचीं और राज्यपाल से मुलाकात की। मुलाकात के बाद ममता ने कहा कि अगर राज्यपाल बिना अभिभाषण पढ़े चले जाते तो एक संवैधानिक संकट शुरू हो जाता और विधानसभा का बजट सत्र शुरू नहीं हो पाता। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने भी आरोप लगाया है कि विधानसभा में ममता बनर्जी के इशारे पर तृणमूल कांग्रेस की महिला विधायकों ने राज्यपाल को शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया।

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