‘होली को रंग, गींदड़ क संग’

सगला लोग – लुगाया आओ, गींदड़ नाच रो रंग जमाओ    नगाड़ा संग ताल मिलाओ ,रलमिल स धूम मचाओ            महरी बन सब रास रचाओ,घुँघरू बांध सब नाचो – गाओ    “लागे डांडा, घाले गींदड़”

कोलकाता : होली के त्यौहार पर इस वर्ष सीकर नागरिक परिषद (कोलकाता), मारवाड़ी युवा मंच और अग्र बंधु, राजस्थान के लुप्तप्राय पारम्परिक लोक नृत्य को पुनर्जीवित करने हेतु सामूहिक रूप से गींदड़ का आयोजन कर रही है। कार्यक्रम के संयोजक प्रह्लाद राय गोयनका एवं जगदीश सिंघी ने बताया कि गींदड़ और धमाल पुरुष प्रधान नृत्य है, इसलिए कुछ पुरुष, स्त्रियों की वेशभूषा धारण कर नृत्य करते हैं। इन्हें महरी कहा जाता है। इसके अलावा विभिन्न तरह की वेशभूषा में गींदड़ नृत्य करते हैं। नगाड़े की धुन पर सैकड़ों लोग वृत्ताकार में विशेष गति से हाथों में छड़ी लिए नाचते-झूमते हैं।

आपनी संस्कृति, आपनी पहचान की परंपरा को ध्यान में रखकर इस नृत्य का आयोजन किया जा रहा है।

यह कार्यक्रम 13 मार्च की शाम 5.00 बजे से सेंट्रल एवेन्यू स्थित श्री विशुद्धानंनद सरस्वती विद्यालय में आयोजित किया जायेगा।

इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए सीकर नागरिक परिषद के सीकर भवन (सीकर भवन, 1ए, आशुतोष दे लेन, लिबर्टी सिनेमा हॉल के विपरीत) ट्रेनिंग की व्यवस्था भी की गयी है।

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