इतिहास के पन्नों में : 15 फरवरी – खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसीवाली रानी थी

पाठ्य-पुस्तकों में शामिल कविता की ये पंक्तियां बाल मन पर जादुई असर करती है- चमक उठी सन सत्तावन की वह तलवार पुरानी थी/ बुंदेले हरबोलो के मुंह हमने सुनी कहानी थी/ खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसीवाली रानी थी।

ये पंक्तियां अमर कविता ‘झांसी की रानी’ का हिस्सा है। राष्ट्रीय चेतना की मुखर कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने देश की वीरांगनाओं को श्रद्धांजलि स्वरूप यह कविता लिखी थी। देशभक्ति से ओत-प्रोत अपनी रचनाओं के लिए सुभद्रा कुमारी चौहान कई बार जेल भी गईं। गांधीजी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाली वे पहली महिला आंदोलनकारी थीं।

16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद के निकट निहालपुर में पैदा हुईं सुभद्रा कुमारी चौहान का बाल्यावस्था से ही लेखन के प्रति रुझान था, जो आगे चलकर राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण लेखन की तरफ उन्हें ले गया। उनकी कविता ‘वीरों का कैसा हो वसंत’ की पंक्तियां हैं- ‘आ रही हिमालय से पुकार/ है उदधि गरजता बार-बार/ प्राची पश्चिम भू नभ अपार/ सब पूछ रहे हैं दिग-दिगन्त/ वीरों का कैसा हो वसंत।’

सुभद्रा कुमार चौहान की कई दूसरी रचनाएं भी बेहद लोकप्रिय हुईं। वातावरण चित्रण प्रधान शैली की उनकी भाषा सरल और काव्यात्मक है। उनकी कविता ‘यह कदम्ब का पेड़’ की पंक्तियां देखें- ‘यह कदम्ब का पेड़ अगर मां होता यमुना तीरे/ मैं भी उसपर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे/ ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली/ किसी तरह नीची हो जाती यह कदम्ब की डाली।’

15 फरवरी 1948 को एक कार दुर्घटना में स्वाधीनता संघर्ष में अहम योगदान देने वाली कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का 44 वर्ष की उम्र में आकस्मिक निधन हो गया।

अन्य अहम घटनाएं:

1869: महान उर्दू शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का निधन।

1921: जाने-माने लेखक राधाकृष्ण चौधरी का जन्म।

1922: ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिंदी कवि नरेश मेहता का जन्म।

1924: भारतीय मूर्तिकार और भित्ति चित्रकार केजी सुब्रह्मण्यम का जन्म।

1946: लेखक और प्रस्तोता हरीश भिमानी का जन्म।

1947: फिल्म अभिनेता रणधीर कपूर का जन्म।

1954: जाने-माने लेखक अरुण कमल का जन्म।

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