इतिहास के पन्नों में : 13 मार्च – भारतीयों के हत्यारे को सबक सिखाने का एक और दिन

यूं तो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनगिनत दिन और घटनाएं इतिहास के पन्नों में अमिट हैं, फिर में इनमें से कुछ तिथियां लोगों के दिल में बस गईं हैं। इन्हीं दिनों में से एक है 13 मार्च,1940 की तिथि। इस तिथि की पृष्ठभूमि 13 अप्रैल,1919 को ही लिख गई थी, जब जलियांवाला बाग में बैसाखी के दिन जुटे असंख्य लोगों पर अंग्रेजी सरकार के सिपाहियों ने अंधाधुंध गोलियां बरसाकर कई की जान ले ली। उस गोलीकांड में कितने लोग मारे गए, राजनीतिक कारणों से आज तक इसका पता नहीं चल सका। इस तथ्य के मध्य लोगों को यह भी याद आया करता है कि उसी दिन एक देशभक्त ने इस हत्याकांड के जिम्मेदार माइकल ओ डायर को सबक सिखाने का संकल्प लिया था। उस राष्ट्रभक्त का नाम उधम सिंह है।

पंजाब में जन्मे भारत माता के अमर सपूत ऊधम सिंह ने लंदन जाकर जलियांवाला बाग कांड के जिम्मेदार पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ डायर की हत्या कर दी थी। वीर उधम सिंह ने अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए अलग-अलग नाम से अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील और अमेरिका में निवास किया। अंतत: वे लंदन पहुंचे। सन् 1934 में लंदन में इस देशभक्त ने एक कार और साथ ही छह गोलियों वाली रिवाल्वर भी खरीद ली। फिर 13 मार्च 1940 को वह दिन भी आ गया, जब उधम सिंह ने माइकल ओ’डायर पर सभी छह गोलियां बरसा दीं। डायर को दो गोलियां लगीं और वह वहीं पर निढाल होकर गिर पड़ा। उस दिन माइकल ओ’डायर रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की बैठक में शामिल होने काक्सटन हाल पहुंचा था।

एक किताब में रिवाल्वर छिपाकर वहां पहुंचे उधम सिंह ने डायर को सबक सिखाने के लिए एक दीवार का सहारा लिया। आज भी जहां जलियांवाला बाग की दीवारें माइकल ओ’डायर के अत्याचार की कहानी कहती हैं, उसके विपरीत अंग्रेज शासक अपनी करतूत की सजा की निशानी कहां रहने देते। उधम सिंह ने वहां से भागने की जगह अपनी गिरफ्तारी देकर जता दिया कि भारतीय अपने ऊपर होने वाले हर अत्याचार को याद रखते हैं और समय पर अत्याचारी को सबक जरूर सिखाते हैं। 14 जून, 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को भारत माता का यह बहादुर सपूत पेंटनविले जेल में फांसी पर झूल गया।

अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं:

1781: खगोलशास्त्री विलियम हर्शेल ने अरुण अथवा यूरेनस ग्रह को खोजा।

1800: मराठा साम्राज्य को फिर से शिखर पर पहुंचाने वाले कुटनीतिज्ञ नाना फडणवीस का निधन।

1878: देसी प्रेस अधिनियम (वर्नाकुलर प्रेस ऐक्ट) पारित। इसके अगले ही दिन से अमृत बाजार पत्रिका का अंग्रेजी पत्र के रूप में प्रकाशन प्रारम्भ।

1881: रूसी शासक अलेक्जेंडर द्वितीय की हत्या।

1892: बॉम्बे-तांसा वाटर वर्क्स खोला गया।

1956: टेस्ट क्रिकेट खेलने की अनुमति मिलने पर न्यूजीलैंड ने 26 साल बाद पहली जीत हासिल की।

1963: खेलों में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार देने का फैसला।

1992: तुर्की में आये भूकंप में करीब 500 लोगों की मौत। हजारों लोग बेघर।

1997: सिस्टर निर्मला, मदर टेरेसा की जगह मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सुपीरियर जनरल चुनी गईं।

2004: प्रसिद्ध सितार वादक उस्ताद विलायत खां का निधन।

2013: पोप फ्रांसिस कैथोलिक चर्च के 266 वें पोप बने।

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