अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पं. विजयशंकर मेहता ‘डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान’ से समादृत

पं. विजयशंकर मेहता को डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान से सम्मानित करते हुए सह-सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर। अन्य परिलक्षित हैं (बायें से) डॉ. तारा दूगड़, महावीर बजाज, आचार्य राकेश पाण्डेय, सजन बंसल, बंशीधर शर्मा एवं गुरु शरण। ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ●डॉ. हेडगेवार का स्वप्न था श्रेष्ठ एवं संगठित भारत : रामदत्त चक्रधर                                                                   कोलकाता : “आत्म विस्मृत हिन्दू समाज को आत्मबोध कराना एवं राष्ट्रीयता के भाव से संगठन का निर्माण करना डॉ. हेडगेवार की सबसे बड़ी देन है। भारत शक्तिशाली बनेगा तभी विश्व का भला होगा एवं यह तभी हो सकता है जब हिन्दू संगठित होगा। डॉ. हेडगेवार का स्वप्न था श्रेष्ठ. संगठित एवं आत्म निर्भर भारत का निर्माण। उनके द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में समाज को जागृत करने की असीम शक्ति है।’’ – ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर के, ने श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा स्थानीय जी. डी. बिड़ला सभागार में रविवार को आयोजित 34वें डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान, 2023 के समारोह में जीवन प्रबंधन गुरु पंडित विजयशंकर मेहता को सम्मानित करने के उपरांत बतौर प्रधान वक्ता कहीं। पंडित विजयशंकर मेहता को सम्मान स्वरूप 1 लाख रुपये का चेक एवं मानपत्र प्रदान किया गया।

चक्रधर ने कहा कि बुद्धि, मेधा एवं ज्ञान से ऊपर है प्रज्ञा। इस दृष्टि से प्रज्ञा सम्मान के लिए पंडित मेहता का चयन सर्वथा श्रेयस्कर है। उन्होंने डॉ. हेडगेवार का जीवन प्रसंगों का उल्लेख करते हुए बताया कि श्रेष्ठ विरासत के जीवन मूल्यों को स्थापित करने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है। उन्होंने बताया कि परिवार व्यवस्था, सामाजिक समरसता, पर्यावरणपूरक जीवन, स्वदेशी की व्याप्ति तथा नागरिक शिष्टाचार आदि पांच मंत्र भारत को समृद्ध बनाने में सहायक होंगे।

सम्मान से समादृत होने के उपरांत पंडित विजयशंकर मेहता ने पुस्तकालय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत को “राष्ट्रीयता’ शब्द का उपहार डॉ. हेडगेवार की सबसे बड़ी देन है। उन्होंने समाज में व्याप्त चार विसंगतियों यथा राष्ट्र के प्रति भ्रष्टाचार, समाज के प्रति अपराध, व्यवस्था के प्रति निक्कमापन एवं परिवार के प्रति उदासिनता को वर्तमान समस्याओं का मूल बताया। हनुमान जी के जीवन प्रसंगों के साथ संघ के क्रियाकलापों की समानता का जिक्र करते हुए उन्होंने समाज में चेतना और सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रधान अतिथि एवं उद्योगपति सजन कुमार बंसल ने कहा कि संघ के विचारों से प्रेरित होकर ही हम कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी, वननवंधु परिषद जैसी अनेक संस्थाओं का सफलतापूर्वक संचालन कर पा रहे हैं।

आचार्य राकेश कुमार पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ. हेडगेवार के स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत भारत की दशा एवं दिशा चिंतन को रेखांकित करते हुए कहा कि हिन्दुत्व ही राष्ट्र की मूल आत्मा है। उन्होंने हनुमान जी को निर्भीकता एवं सदैव प्रयासरत रहने का प्रेरणास्रोत बताया।

पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर बजाज ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि डॉ. हेडगेवार व्यक्ति नहीं, एक विचार हैं। कार्यक्रम का कुशल संचालन किया डॉ. तारा दूगड़ ने तथा धन्यवाद ज्ञापन किया कुमारसभा के उपाध्यक्ष भागीरथ चांडक ने। प्रारंभ में शिबेन्द्र त्रिपाठी ने “राष्ट्र मंत्रे जागाइलो देश…’ बांग्ला गीत की प्रस्तुति की। महावीर प्रसाद रावत, नन्दकुमार लढ़ा, अरुण प्रकाश मल्लावत, अजेन्द्रनाथ त्रिवेदी, अजय चौबे, मोहनलाल पारीक, सत्यप्रकाश राय, संजय मंडल एवं राजेश अग्रवाल “लाला’ ने अतिथियों का माल्यार्पण एवं अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत किया। योगेशराज उपाध्याय के वैदिक मंत्रों के साथ पंडित विजयशंकर मेहता का मंत्री बंशीधर शर्मा ने माला, आचार्य राकेश पाण्डेय ने शॉल, सजन बंसल ने श्रीफल एवं रामदत्त चक्रधर ने मानपत्र एवं चेक देकर सम्मान किया। मंच पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक गुरुशरण जी एवं बंशीधर शर्मा भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में आचार्य राकेश पाण्डेय द्वारा रचित कालगणना की लघु पुस्तिका का पंडित मेहता जी के हाथों विमोचन भी किया गया।
समारोह में जयंतराय चौधरी, प्रशांत भट्ट, ब्रह्मानंद बंग, राधेश्याम बजाज, तेजबहादुर सिंह, महावीर प्रसाद मनकसिया, वास्तुमित्र शिवनारायण मूंधड़ा, गोविन्द सारडा, बुलाकीदास मीमानी, दयाशंकर मिश्र, डॉ. बिन्देश्वरी प्रसाद सिंह, श्रीराम सोनी, राधेश्याम सोनी, चंपालाल पारीक, राजेन्द्र कानूनगो, दुर्गा व्यास, सुदेश अग्रवाल, स्नेहलता बैद, अजय शाह, शंकरलाल अग्रवाल, महेश मोदी, प्रदीप तुल्स्यान, रजत चतुर्वेदी, सीताराम तिवारी, किसनगोपाल सूंठवाल, गंगासागर प्रजापति, ऋषिराज गर्ग, बसंत सेठिया, कमल कुमार गुप्ता, गुरुदत्त शर्मा, बालकिसन आसोपा, नरेश दारुका, संदीप तुल्स्यान, सूर्यकांत अग्रवाल, शशी नारसरिया, नन्दलाल सिंघानिया, डॉ. श्रीबल्लभ नागौरी, घनश्याम सुगला, राजकमल बांगड़, जसवंत सिंह, सुरेन्द्र प्रसाद पटवारी, महेन्द्र दूगड़, डॉ. प्रभात सिंह, रविप्रताप सिंह, रामचंद्र अग्रवाल, रामगोपाल सूंघा, मनोज पराशर, सागरमल गुप्त, अरुण सोनी, महेश केड़िया, संजय रस्तोगी, शैलेश बागड़ी प्रभृति कोलकाता एवं हावड़ा के सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र के अनेक गणमान्य व्यक्ति बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

समारोह को सफल बनाने में मनोज काकड़ा, भागीरथ सारस्वत, गुड्डन सिंह, श्रीमोहन तिवारी, रमाकांत सिन्हा, रोशन शर्मा, नीतिश सिंह, गायत्री बजाज एवं अरुण सिंह प्रभृति सक्रिय थे।

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