इतिहास के पन्नों में 03 जुलाई : बाल गंगाधर तिलक को 114 साल पहले इसलिए किया गया था गिरफ्तार

देश-दुनिया में 03 जुलाई को ऐसा बहुत कुछ घटा है, जो इतिहास का अभिन्न हिस्सा है। इतिहास के पन्ने पलटते ही घटनाएं आंखों के सामने चलचित्र की आगे बढ़ने लगती हैं। भारत में भी इस तारीख को ऐसा बहुत कुछ घटा है। इतिहास में दर्ज है कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को 03 जुलाई, 1908 को ब्रितानी हुकूमत ने देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर कारावास में डाल दिया था। हुआ यह था कि 30 अप्रैल, 1908 को खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चंद चाकी ने बम विस्फोट कर जज किंग्सफोर्ड को निशाना बनाया था। इ्स हमले में वो बच गए पर दो ब्रिटिश महिलाओं की मौत हो गई। अंग्रेजों ने उसी शाम खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया।

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इन दोनों क्रांतिकारियों के पक्ष में अपने अखबार ‘केसरी’ में लिखा। इसी वजह से तिलक को गिरफ्तार किया गया। उन्हें 6 साल की सजा सुनाई गई। यह भी इतिहास का हिस्सा है कि जेल में रहने के दौरान तिलक ने 400 पन्नों की किताब गीता रहस्य भी लिखी। 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में जन्मे तिलक आधुनिक कॉलेज की शिक्षा पाने वाली पहली भारतीय पीढ़ी में से है। उन्होंने कुछ समय तक स्कूल और कॉलेजों में गणित पढ़ाया। तिलक मानते थे कि अंग्रेजी शिक्षा भारतीय सभ्यता के प्रति अनादर सिखाती है, इसलिए उन्होंने दक्कन शिक्षा सोसाइटी की स्थापना की ताकि भारतीयों को अच्छी शिक्षा दी जा सके।

तिलक ने मराठी में ‘मराठा दर्पण’ और ‘केसरी’ नाम से दो अखबार शुरू किए थे। दोनों में वे अंग्रेजी शासन की क्रूरता के खिलाफ लिखते थे। लोकमान्य तिलक के प्रयासों से ही महाराष्ट्र में गणेश उत्सव और शिवाजी उत्सव को सामाजिक उत्सव का रूप मिला। इन त्योहारों के जरिए जनता को अंग्रेजों के अन्याय के विरुद्ध जागरूक किया जाता था।

1896-1897 में महाराष्ट्र में प्लेग फैला। इस दौरान तिलक ने खुद को राहत कार्यों में झोंक दिया, लेकिन वे महामारी के दौरान ब्रिटिश शासन के उपेक्षापूर्ण रवैये से सख्त नाराज थे। इसके लिए उन्होंने अखबार में एक लेख लिखा, जिसमें गीता की पंक्तियों के जरिए कहा गया था कि जुल्म करने वालों को बेकसूर नहीं माना जा सकता। कहा जाता है कि उनके इस लेख से प्रेरित होकर चापेकर बंधुओं ने वाल्टर चार्ल्स रैंड की हत्या की थी। ब्रिटिश सरकार ने तिलक को हत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

1914 में जेल से रिहा होने के बाद तिलक ने 1916 में एनी बेसेंट के साथ होम रूल लीग की स्थापना की। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत में स्वराज स्थापित करना था। इस आंदोलन से बाल गंगाधर तिलक को काफी प्रसिद्धि मिली। इस कारण उन्हें लोकमान्य की उपाधि मिली। देश के इस महान नेता ने 01 अगस्त 1920 को अंतिम सांस ली। महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत के निर्माता की उपाधि दी थी।

इसके अलावा बीसवीं सदी के महान लेखक फ्रांज काफ्का का जन्म प्राग में 03 जुलाई, 1883 को हुआ था। उनकी रचनाऍं आधुनिक समाज का बेजोड़ चित्रण करती हैं और दुनिया भर के साहित्यकार उनसे प्रेरणा पाते हैं। उनके वैश्विक महत्व को इस बात से भी समझा जा सकता है कि उनके नाम पर शब्द तक गढ़ा गया है। मनुष्य की ऐसी परिस्थिति जिसमें उसे कोई रास्ता नहीं दिखता और वह चारों ओर मुश्किलों में घिरा होता है उसे काफ्काएस्क कहा जाता है। उनकी रचना मेटामाफोर्सिस को खूब सराहना मिली। इसके अलावा द ट्रायल और द कैसल को भी भरपूर प्रसिद्धि मिली।

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