इतिहास के पन्नों में 28 जुलाईः चेन्नई में गुरुवार को 44वें शतरंज ओलंपियाड का आगाज

वैश्विक पटल पर 28 जुलाई तमाम घटनाओं के लिए इतिहास में दर्ज है। प्रथम विश्वयुद्ध से लेकर तमाम बड़ी घटनाएं अगल-अलग वर्षों में इसी तारीख में दर्ज हैं। मगर इस साल की 28 जुलाई भारत के तमिलनाडु में शह-मात के खेल शतरंज के सबसे बड़े आयोजन के रूप में इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बनने जा रही है। चेन्नई के महाबलीपुरम में गुरुवार (28 जुलाई, 2022) को 44वें शतरंज ओलंपियाड के साथ इसकी इबारत इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में चमक उठेगी।

शतरंज के 64 खानों को अपने घर की तरह नवाजने वाले तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई की हर गली-नुक्कड़ पर शतरंज के ओलंपियाड की धूम है। देश में पहली बार चेस ओलंपियाड का आयोजन हो रहा है। इसकी मेजबानी का सौभाग्य तमिलनाडु को मिला है। 187 देशों के करीब दो हजार से अधिक खिलाड़ी 28 जुलाई, 2022 से 10 अगस्त तक यहां अपना दमखम दिखाएंगे। विश्व विख्यात संगीतकार एआर रहमान की धुन और आयोजन का वीडियो वायरल हो चुका है। 28 जुलाई को यहां के महाबलीपुरम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ओलंपियाड का उद्घाटन करेंगे। चेन्नई के प्रमुख स्थानों पर ‘घोड़े के मोहरे’ का मॉडल स्थापित किया गया है। शतरंज के श्वेत-श्याम चौसठ खानों के मॉडल भी प्रदर्शित किए गए। नेपियर ब्रिज को भी शतरंज के रंग से पोत दिया गया है।

शतरंज ओलंपियाड के इतिहास की बात करें तो पहला अनाधिकारिक ओलंपियाड पेरिस में 1924 में हुआ था। फिर 20 जुलाई 1924 को अंतरराष्ट्रीय चेस फेडरेशन (फीडे) के गठन के बाद पहला शतरंज ओलंपियाड 1927 में लंदन में आयोजित हुआ। हर दो साल में एक बार इसका आयोजन होता है। 2022 का ओलंपियाड रूस में होना था, लेकिन रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण आयोजन नहीं हो सका। फिर विभिन्न देशों के राज्यों से मेजबानी को लेकर संपर्क किया गया। अंत में इसकी मेजबानी तमिलनाडु को मिली। भारतीय चेस संघ ने भी चेन्नई के पास महाबलीपुरम में इसके आयोजन के फैसले की सराहना की है। 1927 से अब तक के ओलंपियाड में भारत केवल एक बार स्वर्ण जीतने में सफल रहा है। वह भी वर्चुअल आयोजन था। भारत ने रूस के साथ 2020 में स्वर्ण पदक साझा किया था। इसके अलावा भारत के खाते दो कांस्य पदक है। विश्व के सबसे छोटी उम्र के तीन में से दो ग्रैंड मास्टर्स के साथ भारत की नजरें इस बार सोने के पदकों पर हैं।

चेन्नई को भारत में चेस का मक्का कहा जाता है। इसकी वजह करीब एक तिहाई ग्रैंडमास्टर्स की जमीन चेन्नई होना है। 1961 में देश का पहला अंतरराष्ट्रीय मास्टर खिताब तमिलनाडु में पले-बढ़े मैनुअल आरोन ने जीता। उसके बाद चेन्नई के विश्वनाथन आनंद 1988 में भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने। 2001 में पहली महिला

ग्रैंडमास्टर बनीं सुब्बरामन विजयलक्ष्मी। उनके बाद 2018 में प्रज्ञानानंद सभी को चौंकाते हुए 12 साल की उम्र में दुनिया के दूसरा सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बने। हालांकि उनका यह रिकॉर्ड चेन्नई के ही सुकेश डी. ने 2019 में तोड़कर अपने नाम कर लिया।

पल्लव शासकों की राजधानी रही महाबलीपुरम बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। वर्ष 2019 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच की अनौपचारिक वार्ता के बाद महाबलीपुरम ने विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाई है। स्थापत्य और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध महाबलीपुरम शतरंज ओलंपियाड के आगाज के लिए सज-धजकर तैयार है।

और यह भी इतिहास में दर्ज है कि 28 जुलाई 1914 को ही पहले विश्वयुद्ध की शुरुआत हुई थी। सर्बिया में ऑस्ट्रिया के राजकुमार फ्रांसिस फर्डिनेंड की हत्या के बाद गुस्साए ऑस्ट्रिया ने हंगरी के साथ मिलकर सर्बिया पर हमला कर दिया था। यहीं से शुरू हुए युद्ध ने धीरे-धीरे करीब आधी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था।

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