इतिहास के पन्नों में 29 जुलाईः बाघ संरक्षण पर भारत की प्रतिबद्धता

देश-दुनिया के इतिहास में 29 जुलाई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख बाघ संरक्षण की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण है। भारत, दुनिया के आधे से अधिक जंगली बाघों का घर है। भारत में 1973 में बाघ परियोजना शुरू की गई थी।

यह परियोजना देश के राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों को आश्रय प्रदान करती है। भारत ने बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा से चार वर्ष पहले बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल किया है। भारत की बाघ संरक्षण रणनीति में स्थानीय समुदायों को भी शामिल किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में बाघों के लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने और अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र पोषित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया है।

भारत में बाघों की संख्या पिछले चार वर्ष में 200 बढ़कर 2022 में 3,167 तक पहुंच गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सील नौ अप्रैल को गणना के नवीनतम आंकड़ों को जारी किया। आंकड़ों के अनुसार, देश में 2006 में बाघों की संख्या 1411, 2010 में 1706, 2014 में 2,226, 2018 में 2,967 और 2022 में 3,167 थी।

परियोजना के 50 साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री ने इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (आईबीसीए) की शुरुआत भी की। इसका उद्देश्य बाघ और शेर समेत दुनिया की बिग कैट परिवार की सात प्रमुख प्रजातियों की रक्षा एवं संरक्षण करना है। प्रधानमंत्री कहते हैं किवन्यजीव की सुरक्षा सार्वभौम मुद्दा है।

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