ममता ने विधानसभा में कहा : लोकतंत्र में हर कोई सबको स्वीकार्य नहीं होता

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को बजट सत्र पर आखिरी चर्चा के दौरान कहा है कि कोई मुझे राजनीतिक तौर पर बेवकूफ समझ सकता है, इससे मुझे कोई समस्या नहीं है। हकीकत यही है कि लोकतंत्र में हर कोई हर किसी के लिए स्वीकार्य नहीं होता।

दोपहर के बाद मंत्री खाद्य आपूर्ति मंत्री रथिन घोष विधानसभा के अंदर जब संबोधन कर रहे थे तभी ममता बनर्जी सदन में दाखिल हुईं। मंत्री के भाषण के बाद अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री कुछ जोड़ना चाहती हैं। उस समय ममता ने राशन व्यवस्था के बारे में बताया। मुख्यमंत्री ने अतीत और वर्तमान की राशन प्रणाली के बीच के अंतर पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पहले कई लोग फर्जी तरीके से राशन उठाते थे। माकपा के दौर में 1 करोड़ 86 लाख फर्जी नाम थे। हमने सबको हटाया है, हमारे राशन कार्ड अब पहचान पत्र के रूप में उपयोग किए जाते हैं। और जो लोग राशन लेते हैं, उन्हें अलग कार्ड दिया गया है।
किन्नरों के लिए राज्य सरकार के कार्यों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमने थर्ड जेंडर को रोजगार का अधिकार दिया है।

ममता बनर्जी ने शिकायत की कि एफसीआई रेत और कंकड़ मिला चावल देता था। उन्होंने कहा कि आलू के दाम कम होने से किसान परेशान हैं। हम आलू 6.50 रुपये में खरीद रहे हैं। कीमत बढ़ने पर बाद में इस्तेमाल किया जाएगा। हमारे किसान अच्छा कर रहे हैं। उनकी आय चार गुना बढ़ गई है।

राज्य सरकार के विभिन्न फैसलों के खिलाफ विपक्षी खेमे द्वारा की जा रही आलोचना के बारे में भी मुख्यमंत्री ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में, हर कोई सबको स्वीकार्य होगा, इसका कोई मतलब नहीं है।इसके आगे उन्होंने कहा कि कोई मुझे एक राजनीतिक मूर्ख के रूप में सोच सकता है। मेरे पास इस पर कहने के लिए कुछ नहीं है।

ममता बनर्जी के भाषण में दूसरे राज्यों से पोस्ता दाना खरीदने का मुद्दा भी उठाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी पोस्ता ड्रग नहीं हैं। सभी को मिलकर निर्णय लेना है। अगर हमारे पास पोस्ता नहीं है, तो हम खरीद सकते हैं। अगर चार राज्यों में अफीम की खेती होती है तो हमारे यहां पोस्ता की खेती क्यों नहीं? कुछ मामलों में संयुक्त रूप से निर्णय लेने पड़ते हैं। अगर सभी राज्यों को अफीम उगाने की इजाजत है तो हम क्यों नहीं ले सकते?

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