इतिहास के पन्नों में 19 मार्च: वाजपेयी ने संभाली देश की कमान , पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री के रूप में पूरे किए पांच साल

जनता में सर्वाधिक लोकप्रिय और कवि हृदय प्रखर वक्ता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सबसे ज्यादा अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए ख्यातिलब्ध हैं। उन्होंने देश की तीन बार कमान संभाली। 16 अगस्त 2018 को हमेशा-हमेशा के लिए खो गए वाजपेयी के विचार कालजयी हैं। स्वर्गीय वाजपेयी अपने पीछे विचार शृंखला की विरासत छोड़ गए हैं।

वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में हैं। उन्होंने लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। वाजपेयी लोकसभा के 10 और राज्यसभा के दो बार सदस्य रहे। अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में प्रारंभ करने वाले वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमंत्री रहे।

”जो कल थे वो आज नहीं हैं जो आज हैं वो कल नहीं होंगे। होने न होने का क्रम इसी तरह चलता रहेगा। हम हैं हम रहेंगे, ये भ्रम भी सदा पलता रहेगा। ” ये पंक्ति अटल बिहारी वाजपेयी की हैं, जो पहली बार 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री रहे लेकिन लोगों के दिलों पर अपनी गहरी छाप छोड़ गए। 1996 में भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब कोई सरकार 13 दिन में गिर गई। दूसरी बार वाजपेयी की सरकार 13 महीने चली। 1998 में उनकी साफ-सुथरी छवि ने उन्हें फिर प्रधानमंत्री बनाया। इस बार उन्होंने अपने पूरे पांच साल पूरे किए। वाजपेयी पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने पूरे पांच साल प्रधानमंत्री पद संभाला।

वाजपेयी सरकार की उपलब्धियां मील का पत्थर हैं। उनमें कुछ प्रमुख हैं। मसलन- अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित किया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर सुदृढ़ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया। यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों और तकनीक संपन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों ने भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़ता से सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊंचाइयों को छुआ।

उन्होंने पाकिस्तान से संबंध सुधारने की कोशिश की। 19 फरवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नामक दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नई शुरुआत की। मगर पाकिस्तान अपनी हरकत से बाज नहीं आया। कारगिल में घुसपैठ कर चुनौती दी। भारत ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए। देश के सभी हिस्साों को सड़कों से जोड़ने का सपना उनका ही है। स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना वाजपेयी के कार्यकाल में ही बनी। वाजपेयी शासन कुछ और महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं। जैसे-100 वर्ष से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाना। केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग का गठन। राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास। राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति का गठन। ओडिशा के सर्वाधिक निर्धन क्षेत्र के लिए सात सूत्रीय निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम। आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट को खत्म करना।

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