देश-दुनिया के इतिहास में 20 मार्च की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख भारत के संदर्भ में इस लिए महत्वपूर्ण है कि साल 2012 के निर्भया गैंगरेप के दोषियों को 20 मार्च, 2020 को फांसी पर चढ़ाया गया।
इन्हें बचाने के लिए अंतिम पलों तक कानूनी लड़ाई लड़ी गई। 19 मार्च को आधीरात बाद सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम याचिका को खारिज किया, तब जाकर 20 मार्च को तड़के 5 बजकर 15 मिनट पर चारों दोषियों को फांसी पर चढ़ा दिया गया।
इन चार दोषियों के नाम थे-अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह। यह पहली बार था, जब आजाद भारत में चार दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाया गया। मामला 2012 का है, जब 23 वर्षीय पैरामेडिकल स्टूडेंट के साथ दिल्ली में छह लोगों ने चलती बस में गैंगरेप किया था।
छह आरोपितों में से एक नाबालिग था और उसे जुवेनाइल जस्टिस कानून के तहत तीन साल जुवेनाइल होम में रहने की सजा दी गई थी। एक अन्य आरोपी राम सिंह ने मुकदमे की सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल में सुसाइड कर लिया था।