इतिहास के पन्नों में 30 मईः बांग्लादेश में राष्ट्रपति जिया-उर-रहमान की हत्या

देश-दुनिया के इतिहास में 30 मई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश के इतिहास में शोक के रूप में दर्ज है। दरअसल 29 मई, 1981 को बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति जिया-उर-रहमान का चटगांव जाने का कार्यक्रम बना। इसके चार दिन पहले उन्होंने चटगांव के जीओसी मेजर जनरल मोहम्मद अबुल मंजूर का तबादला कर दिया था। इसी के साथ आदेश दिया था कि चटगांव में उन्हें लेने जनरल मंजूर एयरपोर्ट पर नहीं आएं।

जिया-उर-रहमान के इन दोनों फैसलों से मंजूर नाराज थे। देश के सुरक्षाबलों को मेजर जनरल मंजूर की नाराजगी की भनक थी। सुरक्षाबलों ने उनसे चटगांव कार्यक्रम स्थगित करने का आग्रह किया, लेकिन वो नहीं माने और चटगांव पहुंच गए। रात को वो सर्किट हाउस में ठहरे। 30 मई की तड़के करीब साढ़े तीन बजे हमलावर सर्किट हाउस पहुंचे। अंदर घुसते ही हमलावरों ने हैंड रॉकेट से सर्किट हाउस पर हमला किया। इसके बाद ग्रेनेड, मशीनगन और रॉकेट से ताबड़तोड़ हमले हुए। इसी बीच जिया-उर-रहमान बाहर निकले और हमलावरों से बांग्ला भाषा में पूछा-तुम क्या चाहते हो? तभी एक हमलावर ने मशीनगन से उनपर पर धुआंधार फायरिंग शुरू कर दी। जिया-उर-रहमान की मौके पर मौत हो गई। केवल 20 मिनट में बांग्लादेश के एक सैनिक राष्ट्रपति को उनकी ही सेना के जवानों ने मार दिया। शेख मुजीब उर्रहमान के बाद जिया दूसरे राष्ट्रपति थे जिनकी हत्या हुई।

यह तारीख भारत की हिन्दी पत्रकारिता के लिए अहम है। 1826 में इसी तारीख को हिन्दी भाषा का पहला समाचार पत्र उदन्त मार्तण्ड कलकत्ता से साप्ताहिक के रूप में शुरू हुआ था। आठ पेज का यह अखबार हर मंगलवार को निकलता था। कानपुर में जन्मे और पेशे से वकील पंडित जुगल किशोर शुक्ल इसके संपादक थे। उदन्त मार्तण्ड ईस्ट इंडिया कंपनी की दमनकारी नीतियों के खिलाफ मुखर होकर लिखता था। इस वजह से उदन्त मार्तण्ड कंपनी सरकार की आंखों में खटकने लगा। सरकार ने उदन्त मार्तण्ड के प्रकाशन में कानूनी अड़ंगा लगाना शुरू कर दिया। कंपनी सरकार ने मिशनरियों के पत्र को तो डाक वगैरह की सुविधा दे रखी थी, लेकिन उदन्त मार्तण्ड को यह सुविधा नहीं मिली।

आखिरकार, आर्थिक परेशानियों और कानूनी अड़ंगों के बाद 19 दिसंबर 1827 को केवल 19 महीनों के बाद अखबार को बंद करना पड़ा। हालांकि भारत में समाचार पत्रों की शुरुआत 29 जनवरी, 1780 को हुई थी। तब एक अंग्रेज जेम्स आगस्टस हिकी ने अंग्रेजी में ‘कलकत्ता जनरल एडवर्टाइजर’ नामक पहला समाचार पत्र शुरू किया था। यह भारत के साथ ही एशियाई उपमहाद्वीप का किसी भी भाषा का पहला समाचार पत्र था।इसके बाद धीरे-धीरे भारत में समाचार पत्रों के प्रकाशन का सिलसिला शुरू हुआ। बांग्ला, फारसी और उर्दू भाषा में भी समाचार पत्र प्रकाशित होने लगे।

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