इतिहास के पन्नों में 20 नवंबरः दुनिया भर के बच्चों को मिला बड़ा अधिकार

देश-दुनिया के इतिहास में 20 नवंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का दुनिया के हर बच्चे के लिए खास महत्व है। यह वही तारीख है जब बच्चों को व्यस्कों के समान ही अधिकार दिए जाने का फैसला लिया गया। इस तारीख को प्रतिवर्ष विश्व बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस वर्ष भारत में 14 नवंबर से 20 नवंबर तक बाल अधिकार सप्ताह मनाया जा रहा है।

विश्व बाल दिवस मनाने की शुरुआत 1954 से हुई। तब इस दिन को सार्वभौमिक बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता था। 20 नवंबर, 1959 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों की घोषणा की थी। भारत ने इस घोषणा का 11 दिसंबर, 1992 को समर्थन किया। 20 नवंबर, 2007 को बाल अधिकारों को स्वीकार किया । बाल विकास और कल्याण के लिए मार्च 2007 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन किया। आयोग की स्थापना संसद के अधिनियम, 2005 के अंतर्गत की गई।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के बाल विकास और कल्याण (अभिसमय) पर 196 राष्ट्रों ने हस्ताक्षर किए। संधि के तहत पहली बार सरकारों ने वयस्कों की तरह बच्चों के लिए मानवाधिकार तय किए। इस अभिसमय में 54 अनुच्छेद हैं। इन 54 अनुच्छेदों में बच्चों 41 विशिष्ट अधिकार दिए गए हैं। इस अनुच्छेद में पहली बार आर्थिक,सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकार एक साथ दिए गए। बाल अधिकार के अंतर्गत बच्चों को जीवन का अधिकार, भोजन पोषण, स्वास्थ्य, विकास, शिक्षा, पहचान, नाम, राष्ट्रीयता, परिवार, मनोरंजन, सुरक्षा और बच्चों का गैर कानूनी व्यापार शामिल है।

भारत में बाल अधिकारः वैसे तो संविधान में 41 बाल अधिकार दिए गए हैं लेकिन इनमें से 16 अधिकार भारतीय बच्चों के लिए बहुत अहम हैं। इसमें जीवन का अधिकार मौलिक अधिकारों में से एक है। इसके अलावा भेदभाव न हो, माता-पिता की जिम्मेदारी, स्वास्थ्य सेवाएं, अच्छा जीवन स्तर, विकलांग बच्चों के लिए उचित व्यवस्था, शिक्षा की व्यवस्था, नशीले पदार्थों से बचाव, दुर्व्यवहार से रक्षा, क्रीड़ा और सांस्कृतिक गतिविधियां, अनाथ बच्चों की रक्षा, बाल श्रमिकों की सुरक्षा, यौन शोषण से बचाव, किशोर न्याय प्रबंधन, यातना-दासता पर रोक आदि अधिकार महत्वपूर्ण हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

42 − 36 =