पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार कृष्ण बिहारी मिश्र का निधन

साहित्य जगत में शोक की लहर

कोलकाता : पद्मश्री से सम्मानित हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार कृष्ण बिहारी मिश्र का निधन हो गया है। वे 92 साल के थे। उन्होंने 6 और 7 मार्च की मध्य रात्रि करीब एक बजे अंतिम सांस ली। कृष्ण बिहारी मिश्र के निधन की जानकारी उनके पुत्र कमलेश मिश्र ने दी। पिछले कुछ दिनों से वे बीमार चल रहे थे। कृष्ण बिहारी मिश्र के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गयी है।

पारिवारिक सूत्रों के अनुसार पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर कृष्ण बिहारी मिश्र पिछले करीब एक महीने से बीमार चल रहे थे। बीमारी के कारण करीब एक महीने पहले उन्हें उपचार के लिए कोलकाता के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तबीयत में सुधार होने पर एक दिन पहले ही उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था।

अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाने के बाद डॉक्टर कृष्ण बिहारी मिश्र को परिजन घर लेकर चले आए थे। जिस दिन परिजन अस्पताल से घर लेकर आए, उसी रात डॉक्टर मिश्र अनंत यात्रा पर प्रस्थान कर गए। वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले थे। उनका जन्म बलिया जिले के बलिहार गांव में हुआ था।

मुख्य रचनाएं

पत्रकारिता : हिंदी पत्रकारिता : जातीय चेतना और खड़ी बोली
साहित्य की निर्माण-भूमि, गणेशशंकर विद्यार्थी, पत्रकारिता इतिहास और प्रश्न,

ललित निबंध संग्रह : बेहया का जंगल, मकान उठ रहे हैं, आँगन की तलाश, अराजक उल्लास, गौरैया ससुराल गया।

विचार प्रधान निबंध संग्रह : आस्था और मूल्यों का संक्रमण,
आलोकपंथा, परंपरा का पुरुषार्थ, माटी महिमा का सनातन राग, न मेधया, भारत की जातीय पहचान
सनातन मूल्य

संस्मरण : नेह के नाते अनेक

जीवनी : कल्पतरु की उत्सव लीला (रामकृष्ण परमहंस)

संपादन : हिंदी साहित्य : बंगीय भूमिका श्रेष्ठ ललित निबंध, कलकत्ता 87 नवाग्रह (कविता संकलन), समाधि (त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका)

अनुवाद: भगवान बुद्ध (यूनू की पुस्तक का अनुवाद, कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्रकाशित)

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