बालू खनन से भी जुड़े हैं पार्थ के तार!

P लिखे हुए 100 से अधिक डंपरों का पता लगा

गिरफ्तारी के बाद हैं नदारद डंपर

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार मंत्री पार्थ चटर्जी के तार अवैध बालू खनन से भी जुड़े होने के दावे किए जा रहे हैं।

उन्हें गिरफ्तार करने वाली केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सूत्रों ने मंगलवार को इस बारे में पुष्टि करते हुए बताया है कि 100 से अधिक ऐसे डंपरों के बारे में जानकारी मिली है जिन पर कोड वर्ड के तौर पर पी (P) लिखा हुआ था। खास बात यह है कि P चटर्जी के नाम का पहला अक्षर है और जब से चटर्जी की गिरफ्तारी हुई है उसके बाद से ये सारे डंपर सड़कों से नदारद हैं। इन सबका इस्तेमाल अवैध तरीके से बालू खनन के लिए किया जाता था इसीलिए संदेह और गहरा हो गया है। केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी इसकी जांच में जुट गए हैं। दावा किया जा रहा है कि पार्थ चटर्जी के पैसों से ही इन डंपरों को खरीदा गया था। मूल रूप से पूर्व बर्दवान के पालसिट में सड़कों पर ऐसे डम्परों की कतार देखी गई है। यहां कुछ गाड़ियों को ईडी अधिकारियों ने चिन्हित किया है जो आजापुर गांव में खड़ी की गई हैं। पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद ये डंपर नहीं चल रहे हैं और इन्हें खेतों के बगल में गांव की सड़कों पर पार्क कर रखा गया है।

खास बात यह है कि डम्पर पर लगे पी के लोगो को भी हटाया जा रहा है। हर एक डम्पर पर राहुल-राज लिखा गया है। गांव के निवासियों ने बताया है कि इलाके के दो युवकों बबलू और डब्बू ही ने मुख्य रूप से अवैध बालू खनन का काम शुरू किया था और इन डम्परों की देखरेख भी करते हैं। राहुल और राज इन्हीं दोनों के बेटों का नाम है।

दावा किया जा रहा है कि शुरुआत में बबलू और डब्बू ने ही इस कारोबार की शुरुआत की थी लेकिन बाद में पार्थ चटर्जी ने यहां काफी पैसे लगाए और डम्पर खरीदे गए। इसलिए इन पर पी लिखा गया था। यहां एक कार्यालय भी था जो पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद से बंद है और बबलू तथा डब्बू दोनों ही फरार हो गए हैं। ईडी के अधिकारी दोनों की तलाश में जुट गए हैं और डम्परों के बारे में भी पूरी जानकारी हासिल की जा रही है।

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